‘शौक बड़ी चीज है…’ अब सरकार भी यही कहती नजर आ रही है. इसकी वजह भी साफ है. आपके शौकों से सरकार को एक्स्ट्रा इनकम जो हो रही है. ये अमाउंट भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि पूरा 70,000 करोड़ रुपए है. इकोनॉमिक्स की भाषा में आपके ‘शौक’ पर सरकार जो एक्स्ट्रा टैक्स कमा रही है, उसे Sin Tax भी कहा जाता है.

Sin Tax, आम तौर पर पान मसाला, शराब, सिगरेट, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, कोल्ड ड्रिंक्स, महंगे परफ्यूम, इंपोर्टेड सामान और गाड़ियों पर वसूला जाता है. ये एक तरह का ‘लग्जरी’ पर लगने वाला टैक्स है. हालांकि Sin का हिंदी में मतलब ‘पाप’ होता है. ऐसे में इन वस्तओं पर खर्च करना असलियत में ‘पाप’ है या नहीं ये व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है. सरकार इसे विलासिता कर की तरह ही वसूलती है.

GST Cess के तौर पर वसूली

जुलाई 2017 में जब देश में जीएसटी व्यवस्था लाई गई, तो उसमें सबसे हाई टैक्स स्लैब 28 प्रतिशत का रखा गया. लेकिन ‘सिन गुड्स’ या ‘लग्जरी गुड्स’ के लिए 15 प्रतिशत तक का सेस (उपकर) अलग से लगाया गया. इस उपकर को लगाने का मकसद ये था कि इस मद में जो पैसा आएगा, उससे राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई की जाएगी, जो जीएसटी लागू करने की वजह से होने की संभावना है.

अब यही Sin Tax सरकार के लिए ‘सोने का अंडा’ देने वाली मुर्गी बन गया है. इस मद में सरकार के पास इतना पैसा आ रहा है कि सारे खर्चे निपटाने, राज्यों का लोन चुकाने के बाद भी सरकार के पास 70,000 करोड़ रुपए तक एक्स्ट्रा बच जाएगा

समय से पहले चुक जाएगा लोन

केंद्र सरकार ने कोविड-19 के संकट के दौरान राज्यों की ओर से (On Behalf) लोन उठाया था. इसमें से अधिकतर लोन को चुकाने की मियाद मार्च 2026 है. ईटी ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से खबर दी है कि जीएसटी सेस के कलेक्शन का जो ट्रेंड दिख रहा है, उसके हिसाब से सरकार सारे लोन को समय से पहले चुका देगी, उसके बाद भी सरकार के पास 65,000 करोड़ से 70,000 करोड़ रुपए बचा जाएगा.

इस दावे की गवाही सरकार के बजट आंकड़े भी देते हैं. वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार की जीएसटी सेस कलेक्शन 85,191.9 करोड़ रुपए था. फिर 2021-22 में ये 1,05,000 करोड़ रुपए, 2022-23 में 1,25,862.40 करोड़ रुपए और 2023-24 में 1,45,000 करोड़ रुपए रही. जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में इसके 1,50,000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है.

सेस पर जीएसटी काउंसिल की बैठक में चर्चा

जीएसटी लागू करते समय सेस की व्यवस्था को एक फिक्स टर्म के लिए ही लगाया गया था. जीएसटी सेस की ये मियाद मार्च 2026 में खत्म हो रही है. ऐसे में शनिवार को जीएसटी काउंसिल की 53वीं बैठक में इस बात पर चर्चा हो सकती है कि आने वाले समय में जीएसटी सेस का क्या किया जाए. इस मद में आए पैसे को कैसे उपयोग में लाया जाए.