मिडिल ईस्ट सुलग रहा है. ईरान के हमलों के बाद इजराइल पलटवार का प्लान बना चुका है. इसका सीधा मतलब ये है कि मिडिल ईस्ट की हवा में अभी और बारूद घुलेगी. भारत इन हालात पर नजर बनाए हुए है. शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया. इसमें कहा कि हम हालात पर करीब से नजर रखे हुए हैं. ब्लू लाइन पर बिगड़ते सुरक्षा हालात को लेकर चिंतित हैं. यूएन परिसर की अखंडता का सभी को सम्मान करना चाहिए. यूएन शांति सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी उचित उपाय किए जाने चाहिए. ‘ब्लू लाइन’ लेबनान को इजराइल और गोलान हाइट्स से अलग करती है.

इससे पहले पीएम मोदी ने 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में कहा कि समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता. पीएम ने कहा कि विश्व के तमाम देशों में जारी संघर्षों का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है. यूरेशिया और पश्चिम एशिया में जल्द से जल्द शांति और स्थिरता की बहाली होनी चाहिए.

यूएनसीएलओएस के तहत होनी चाहिए समुद्री गतिविधियां

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हित में है. हमारा मानना ​​है कि समुद्री गतिविधियां यूएनसीएलओएस के तहत होनी चाहिए. नौवहन और वायु क्षेत्र की स्वतंत्रता भी जरूरी है. इसके लिए मजबूत और प्रभावी आचार संहिता बनाई जानी चाहिए. क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर अंकुश नहीं लगना चाहिए.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सोच विकासवादी होनी चाहिए न कि विस्तारवादी. मैं बुद्ध की धरती से आता हूं. बार-बार मैंने कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है. युद्ध के मैदान से समस्याओं का समाधान नहीं निकला जा सकता. क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान होना चाहिए. हमें संवाद और कूटनीति पर जोर देना चाहिए.

दुनिया के लिए गंभीर चुनौती है आतंकवाद

पीएम मोदी ने कहा कि भारत विश्वबंधु की जिम्मेदारी निभाते हुए इस दिशा में योगदान देता रहेगा. आतंकवाद दुनिया के लिए गंभीर चुनौती है. इसका मुकाबला करने के लिए एक साथ आना होगा और मिलकर काम करना होगा. हमें साइबर, समुद्री और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को और मजबूत करना होगा.