भारत की आजादी के 9 साल बाद 1 नवंबर 1956 में भाषा के आधार पर केरल नाम से एक अलग राज्य बना था. अब 68 साल बाद केरल सरकार ने भाषा के ही आधार पर इस राज्य के नाम को बदलकर केरलम करने का फैसला किया है. इसके लिए विधानसभा में एक प्रस्ताव लाया गया जो सर्वसम्मिति से पास हो गया है. बस अब केंद्र की मंजूरी मिलना बाकी है.

केरल विधानसभा ने दूसरी बार प्रस्ताव पारित किया है. पिछले साल 2023 में भी किया था लेकिन गृह मंत्रालय ने पहले प्रस्ताव की समीक्षा की थी और कुछ तकनीकी बदलावों का सुझाव दिया था. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के मुताबिक मलयालम भाषा में केरल को केरलम कहा जाता है. हिंदी में इसे केरल ही कहते हैं और अंग्रेजी में Kerala लिखा और बोला जाता है. आइए जानते हैं केरल का नाम पहले कैसे पड़ा था और अब तक किन किन राज्यों के नाम बदले जा चुके हैं.

केरल नाम कैसे पड़ा था?

इसकी कहानी शुरू होती है 1920 में जब भारत आजाद भी नहीं हुआ था. इस दशक में मलयालम भाषा बोलने वालों ने एक आंदोलन छेड़ दिया. इनका मानना था कि एक ही भाषा बोलने वाले, एक ही रीति रिवाज को मानने वालों के लिए अलग राज्या होना चाहिए. इन्होंने मलयालम भाषियों के लिए अलग केरल राज्य बनाने की मांग की. इनकी मांग थी की कोच्चि, त्रावणकोर और मालाबार को मिलाकर एक राज्य बनाया जाए.

आजादी के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में भाषाई आधार पर राज्यों के बंटवारे की मांग उठने लगी. इसके लिए पहले श्याम धर कृष्ण आयोग बना. इस आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन को देशहित के खिलाफ बताया. इसी बीच 1 जुलाई 1949 को त्रावणकोर और कोचीन रियासत का विलय हो गया. इससे त्रावणकोर-कोचीन राज्य बना.

हालांकि बात यहीं नहीं रूकी. लगातार उठती मांगों के बीच ‘JVP’ आयोग बना. जेवीपी यानी जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और पट्टाभि सीतारमैया. इस आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का सुझाव दिया. इसी के बाद मालाबार रीजन (मद्रास रियासत का हिस्सा) भी त्रावणकोर-कोचीन राज्य में मिल गया. इस तरह से 1 नवंबर 1956 को केरल बना.

केरल का नाम क्यों बदलना चाहती है राज्य सरकार?

केरल विधानसभा में पास हुई प्रस्तावना के अनुसार हिंदी और दूसरी भाषाओं में केरलम को केरल कहा जाता है. वहीं मलयाली भाषा में इसका नाम केरलम है. रज्य सरकार की मानें तो केरल का नाम केरलम किए जाने की मांग के पीछे राज्य का मकसद सिर्फ मलयाली लोगों के भाषा, संस्कृति और पहचान को बढ़ावा देना हैं. पहचान को बढ़ावा देना है.

अब तक किन किन राज्यों के नाम बदले गए?

साल 1996 में पंजाब के विभाजन के बाद ईस्ट पंजाब से तीन राज्य बनाये गए थे. विभाजन के बाद हरियाणा, हिमाचल और पंजाब नाम के तीन राज्य बने थे. ईस्ट पंजाब का नाम बदलकर पंजाब कर दिया गया.

साल 1950 में यूनाइटेड प्रोविन्स का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया था. वहीं साल 2000 में उत्तर प्रदेश का विभाजन कर एक नया राज्य उत्तरांचल बनाया गया. हालांकि साल 2007 में उत्तरांचल का नाम बदलकर भी उत्तराखंड कर दिया गया.

साल 1953 को मद्रास प्रेसीडेंसी में रहने वाले तेलुगू भाषी हिस्से को आंध्र स्टेट बना दिया गया. साल 1956 को आंध्र स्टेट का नाम बदलकर आंध्र प्रदेश कर दिया गया. मध्य भारत का नाम साल 1959 में बदलकर मध्य प्रदेश कर दिया गया.

1969 में मद्रास स्टेट का नाम बदलकर तमिलनाडु कर दिया गया. 1973 में मैसूर स्टेट का नाम बदलकर कर्नाटक रख दिया गया. 1973 को लक्कदीव, मिनिकॉय और अमनदीवी का नाम बदलकर लक्षद्वीप रखा गया. पॉन्डिचेरी का नाम साल 2006 में बदलकर पुडुचेरी कर दिया गया. साल 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा किया गया.