महाराष्ट्र में सीएम देवेंद्र फणडवीस के मंत्रिमंडल विस्तार में एनसीपी नेता छगन भुजबल को दरकिनार कर दिया गया. छगन भुजबल को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया. इसके बाद छगन भुजबल ने नाराजगी जताई थी. नाराज छगन भुजबल ने पार्टी के तीन बड़े नेताओं पर आरोप लगाया था, लेकिन एनसीपी का एक भी नेता भुजबल को समझाने नहीं गया. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि छगन भुजबल एनसीपी में अलग-थलग पड़ गये हैं.

इस पृष्ठभूमि में छगन भुजबल कल तक कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. भुजबल का शनिवार को मुंबई पहुंचने का कार्यक्रम है और वह अगले दो दिन तक अपने समर्थकों से चर्चा के बाद फैसला लेंगे. इसलिए अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में बड़ा राजनीतिक भूचाल आने की आशंका है.

सूत्रों ने जानकारी दी है कि एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल बड़ा फैसला लेने की तैयारी में हैं. कहा जा रहा है कि भुजबल इस बात से ज्यादा नाराज हो गए कि नाराजगी जताने के बावजूद कोई नेता उनसे मिलने नहीं आया या किसी नेता ने सवाल नहीं पूछा. इसी पृष्ठभूमि में भुजबल आज और कल मुंबई में ओबीसी नेताओं से मुलाकात करने वाले हैं. सूत्रों ने बताया कि कहा जा रहा है कि इसके बाद ही वह कोई बड़ा फैसला लेंगे.

नासिक में छगन भुजबल ने कार्यकर्ताओं से की बात

नासिक में भुजबल ने नासिक में समता परिषद के कार्यकर्ताओं से बातचीत की . उस वक्त सभी नेताओं ने उनसे अलग फैसला लेने पर जोर दिया था. इस मौके पर भुजबल ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए अजित पवार की भी आलोचना की. भुजबल ने उन पर हमला बोला. हालांकि सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल ने उनका समर्थन किया था, लेकिन उसके बाद भी एनसीपी का एक भी नेता भुजबल से मिलने नहीं गया. एक भी विधायक या मंत्री ने उनसे मुलाकात नहीं की है.

जानें, छगन भुजबल के पास क्या हैं विकल्प

अगर छगन भुजबल अजित पवार से अलग होने का फैसला करते हैं तो कहा जा रहा है कि भुजबल के पास तीन विकल्प हैं. एक है शरद पवार गुट में शामिल होना, दूसरा- बीजेपी ज्वाइंन करना और तीसरा ओबीसी का देशव्यापी संगठन बनाना. इसलिए सबकी नजर इस पर टिक गई है कि भुजबल कौन सा विकल्प चुनते हैं.

इस बीच, राष्ट्रवादी शरद पवार गुट के सांसद नीलेश लंका ने छगन भुजबल को शरद पवार गुट में शामिल होने का आह्वान किया है. छगन भुजबल जमीनी स्तर के नेता हैं.