सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दर्ज अवैध खनन से संबंधित मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी को राहत प्रदान करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज मामलों में भी जमानत नियम है और जेल में रखना अपवाद है. किसी भी व्यक्ति को उसकी आजाजी से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी प्रेम प्रकाश को कथित भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जमानत देते हुए कहा कि “जमानत दिया जाना नियम है जबकि जेल अपवाद है.” बेंच ने आगे कहा, “व्यक्ति की आजादी हमेशा नियम होती है और जेल में रखना अपवाद है. यह सिर्फ कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के तहत हो सकती है, जो वैध और उचित तरीके से होनी चाहिए.”

‘PMLA की धारा 50 के तहत बयान अस्वीकार्य’

देश की शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों को आकर्षित करने वाले किसी अन्य केस में हिरासत में दिए गए इकबालिया बयान अदालत में स्वीकार्य नहीं होंगे.

हिरासत में रहते हुए प्रेम प्रकाश ने कथित तौर पर एक अन्य भूमि घोटाले मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी. कोर्ट ने कहा, “हमें यह स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि जब कोई आरोपी पीएमएलए के तहत हिरासत में होता है, चाहे वह जिस भी केस में हिरासत में हो, उसी जांच एजेंसी के समक्ष पीएमएलए की धारा 50 के तहत कोई भी बयान अस्वीकार्य है.” कोर्ट ने यह भी कहा, “इसका कारण यह है कि उसी जांच एजेंसी द्वारा जांच के दौरान की गई कार्यवाही के तहत हिरासत में लिया गया व्यक्ति ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसे खुले दिमाग से काम करने वाला माना जा सके.”

SC ने HC के फैसले को किया खारिज

बेंच ने शीर्ष अदालत के 2 साल पहले 2022 के उस फैसले का हवाला दिया जिसमें पीएमएलए के प्रावधानों को बरकरार रखा गया था और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग तथा भ्रष्टाचार के मामलों में 9 अगस्त के फैसले को बरकरार रखा गया था, जिन्हें जमानत दी गई थी और कहा, यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि पीएमएलए के तहत भी शासकीय सिद्धांत यह है कि जमानत नियम है जबकि जेल की व्यवस्था अपवाद है.”

बेंच ने यह भी कहा कि किसी भी शख्स को उसकी आजादी से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी की जमानत के लिए दोहरी शर्तें रखने वाली पीएमएलए की धारा 45 में भी सिद्धांत को इस तरह से नहीं लिखा गया कि किसी को आजादी से महरूम करना नियम है. बेंच ने कहा, “पीएमएलए की धारा 45 के तहत दोहरी शर्तें इस सिद्धांत को खत्म नहीं करतीं.”

साथ ही बेंच ने आरोपी प्रेम प्रकाश को जमानत दे दी, जिसे प्रवर्तन निदेशालय की ओर से हेमंत सोरेन का करीबी सहयोगी बताया गया और उस पर राज्य में अवैध खनन में शामिल होने का आरोप लगा. शीर्ष अदालत ने झारखंड हाई कोर्ट के 22 मार्च के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें उसे जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी. साथ ही कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत को मामले की सुनवाई में तेजी लाने को कहा है.