सागर। जिले के खुरई कस्बे में डॉक्टर की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। खुरई में स्थित मिशन अस्पताल में पिछले साल सितंबर में एक महिला की सीजेरियन डिलीवरी कराई गई थी। लेकिन सर्जरी के दौरान महिला के पेट में डॉक्टर कपड़ा ही भूल गए। दो-तीन महीने बाद ही महिला पेट दर्द से परेशान रहने लगी। जब महिला ने सागर के एक अस्पताल में अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया तो एक्स-रे रिपोर्ट में यह बात सामने आई। इसके बाद डॉक्टरों ने महिला की सर्जरी कर उसके पेट से रूमाल जैसी चीज निकाली। फिलहाल महिला की हालत स्थिर है।
यह है मामला
खुरई के ग्राम नारधा निवासी 35 वर्षीय अनीता पति (स्व.) पप्पू अहिरवार की पिछले साल 6 सितंबर को खुरई के मिशन हॉस्पिटल में सीजेरियन डिलीवरी हुई थी। महिला ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया था। कुछ दिन बाद जच्चा-बच्चा की अस्पताल से छुट्टी हो गई और वे घर आ गए। प्रसव के करीब तीन महीने बाद अनीता के पेट में दर्द शुरू हो गया। स्वजन ने अनीता को पहले बीना में चिकित्सकों के पास दिखाया, लेकिन कोई आराम नहीं हुआ। इसके बाद अनीता को झांसी, ग्वालियर, सागर में दिखाया गया, लेकिन पेट दर्द ठीक नहीं हुआ।
ठोस आहार लेना हुआ मुश्किल
दर्द के कारण अनीता ने खाना भी छोड़ दिया। केवल चाय या तरल पदार्थ ही खाकर गुजारा करने लगी। इसी बीच वह भोपाल एम्स भी गई, जहां परीक्षण उपरांत बाद में रिपोर्ट देने की बात कही गई। तभी अचानक 23 अगस्त को अनीता के पेट में फिर तेज दर्द हुआ और वह अचेत हो गई। इस पर अनीता की बहन, जीजा और भाई आनन-फानन उसे सागर के भाग्योदय अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां मौजूद डॉक्टरों ने जब अनीता की सोनोग्राफी और एक्स-रे किया तो उसके पेट में कुछ होने का संदेह हुआ।
रूमाल जैसी चीज
डॉ. प्रमोद सिजारिया, डॉ. अंकुर जैन और डॉ. इलयास की टीम ने तीन घंटे में महिला की जटिल सर्जरी की और उसके पेट में फंसे फंसे रूमाल नुमा कपड़े को बाहर निकाला। डा. सिजारिया ने बताया कि पेट में काफी दिनों से रहने के कारण इसकी पहचान मुश्किल है। प्रथमदृष्टया रूमाल जैसी दिखने वाली चीज के बारे में जांच के बाद ही स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल महिला की हालत स्थिर है। डॉ. सिजारिया ने यह भी कहा कि हैरानी की बात है कि नौ महीने तक कई जगह जांच के बाद यह कपड़े जैसी चीज आखिर कहीं पकड़ में क्यों नहीं आई।
कर्ज लेकर कराया इलाज
अनीता के पति की मृत्यु हो गई है। डिलीवरी के बाद शुरू हुई इस समस्या के बाद उसकी बहन, जीजा और भाईयों ने ही उसका इलाज कराया। नौ महीने में अनीता के इलाज में हजारों रुपये खर्च हो गए। महिला के भाई सुनील अहिरवार ने बताया कि हम लोग भी मजदूरी कर अपना गुजारा चलाते हैं। भाग्योदय अस्पताल में भी हुए ऑपरेशन का डॉक्टरों ने लंबा खर्च बताया। इसके बाद भाई और बहन व जीजा ने घर के गहने और मोटर साइकिल गिरवी रखी। रिश्तेदार और परिचितों से उधार मांग कर पैसे की व्यवस्था की। जिसके बाद 28 अगस्त को अनीता की सर्जरी हुई।
असहनीय दर्द से पीड़ित महिला के पेट से ऑपरेशन कर रूमाल जैसी चीज निकाली है। महीनों से पेट में रहने के कारण यह गल गई है। जांच के बाद ही पता चलेगा कि यह क्या है। फिलहाल महिला की हालत स्थिर है।
– डॉ. प्रमोद सिजारिया, सर्जन, भाग्योदय अस्पताल, सागर