जबलपुर। सड़क किनारे बेसहारा मवेशियों के खड़े होने से चलना मुश्किल होता है। इससे जहां दुर्घटना होती हैं वहीं जाम के हालात बनते हैं। ऐसे में यातायात पुलिस के साथ एसएएफ भी अब इस समस्या से निपटने के लिए आगे आ रही है। एसएएफ के नवागत डीआइजी अतुल सिंह ने इस मामले में पहल करते हुए जिला प्रशासन को सहयोग देने की योजना बनाई है। वे संभागायुक्त और कलेक्टर से इसमें एसएसएफ जवानों की भूमिका को लेकर मिलने जा रहे हैं ताकि उनकी मदद से मार्ग की बाधाओं को दूर किया जा सके।

समाज की प्रमुख वर्ग से जोड़ने के लिए प्रयास हो

अतुल सिंह ने नईदुनिया से चर्चा में कहा कि एसएएफ को लोग अभी अधिक नहीं समझते हैं। इसे समाज की प्रमुख वर्ग से जोड़ने के लिए ऐसे कई प्रयास होने चाहिए। दंगे या भीड़ को नियंत्रण करने में एसएएफ की अहम भूमिका होती है। अभी टियर गैस का इस्तेमाल आमतौर पर भीड़ को नियंत्रण करने में किया जाता है आगे इससे बेहतर क्या उपचार हो सकते हैं।

कार्य का अध्ययन किया जा रहा है राज्यों में

अन्य राज्यों में हो रहे कार्य का अध्ययन किया जा रहा है। उनके अनुसार हमारी प्राथमिकता जवानों की पदोन्न्ति, समयमान वेतनमान, कर्मचारियों का समय पर वेतन और आवास की सुविधा दिलाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि छठवीं बटालियन के जबलपुर जोन में जबलपुर के अलावा रीवा, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा जिले की बटालियन है।

पदभार ग्रहण करने पर किया गया स्वागत

एसएएफ रेंज में स्थानांतरित हुए डीआइजी अतुल सिंह के पदभार ग्रहण करने पर नवागत डीआइजी द्वारा छठवीं वाहिनीं में पदस्थ कमांडेंट सिद्धार्थ चौधरी ने सभी राजपत्रित अधिकारियों के साथ डीआइजी कार्यालय में पदस्थ अनुसचिविय बल से मिले। इस दौरान उन्होंने आवश्यक निर्देश भी दिए। इस मौके पर बटालियन के कमांडेंट सिद्धार्थ चौधरी,डिप्टी कमाडेंट अभिषेक राजन, डिप्टी कमाडेंट अंजुलता पटले, सुबोध लोखंडे, असिस्टेंट कमांडेंट पुष्पेन्द्र आठिया, असिस्टेंट कमाडेंट एमपी सिंह आदि मौजूद रहे।