कोलकाता रेप मर्डर को 15 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है. इसके बाद भी देश के अलग-अलग हिस्सों से कई रेप की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसको लेकर देशभर के लोगों में गुस्सा भरा हुआ है. 9 अगस्त को जूनियर डॉक्टर के हत्याकांड की हर पहलू से जांच की जा रही है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पॉलीग्राफी टेस्ट भी कराया जा चुका है. इसी बीच CBI की टीम उसके घर पहुंची.

आरजी कर अस्पताल के ही पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ अख्तर अली ने साल 2022 से लेकर 2023 तक अस्पताल में हुई अनियमितताओं को लेकर शिकायत की थी. इसी को लेकर कोलकाता में राज्य सरकार की सिफारिश पर SIT का गठन किया गया था. डॉ अख्तर अली ने SIT के सामने पेश होकर नए सिरे से अपनी शिकायतों के बारे में बताया था. इसके बाद ममता बनर्जी ने SIT की ओर से दर्ज मामले को CBI को जब हैंडओवर किया तब 24 अगस्त को ही इस मामले में FIR दर्ज की गई. उसके बाद ही CBI ने डॉक्यूमेंट के सत्यापन के लिए रणनीति बनानी शुरू की.

कई जगह की छापेमारी

CBI की टीम अस्पताल भी पहुंची. CBI ने डॉक्यूमेंट्स खंगालने के लिए एक साथ कई जगहों पर छापेमारी की. इसमें सबसे अहम आरजी कर अस्पताल है. सुबह सात बजे सीबीआई की टीम आरजी कर अस्पताल के एडमिन ब्लॉक में पहुंची. मिली जानकारी के मुताबिक वहां की पुरानी फाइलें खोजी जा रही है. इसके साथ ही अस्पताल के अकाउंट सेक्शन के स्टाफ को भी बुलाया गया.

काले कारनामों का चिट्ठा

संदीप घोष को लेकर कई शिकायतें की गई हैं. पहली शिकायत अस्पताल के कैफेटेरिया को लेकर की गई है. आरोप यह है कि एक ही तारीख पर नोट शीट और कोटेशन जारी किया गया. नियमों के मुताबिक कॉलेज काउंसिल से यह मामला पास होना चाहिए था. इस पूरे घोटाले में एक्शन मुमकिन है और इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है. दूसरी शिकायत किराए पर फूड स्टॉल को लेकर है. यह भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले से संबंधित है.

कंपनी को फायदा

यही नहीं तीसरी शिकायत बायोमेट्रिक वेस्ट डिस्पोजल को लेकर है. इसमें आरोप यह है कि सही तरीके से कचरे का निपटारा नहीं किया गया. इसमें भी एक्शन होगा और 5 साल की सजा भी हो सकती है. आरोप तो यह भी है कि सेंट्रल पोल्यूशन बोर्ड के रिकमेंडेशन का पालन नहीं किया गया. चौथी शिकायत स्किल लैब के लिए खरीदारी को लेकर है. आरोप है कि एक खास कंपनी की मदद, जो फूड आइटम डिलीवरी करती थी. उसे मेडिकल इक्विपमेंट की सप्लाई का ठेका दिया गया. यह मामला आर्थिक हेराफेरी से जुड़ा है. प्रिंसिपल ने किसी खास कम्पनी को फायदा पहुंचाने के लिए हेराफेरी की और पब्लिक के पैसे का दुरुपयोग किया.

HFNO की खरीद

पांचवीं शिकायत एकेडमिक फंड में गड़बड़ी को लेकर है. आरोप लगाया गया है कि तय से ज्यादा भुगतान किया गया. इस मामले में अकाउंट ऑफिसर के नोट को नजरअंदाज किया गया. बहुत हद तक इसमें भी एक्शन मुमकिन है और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है. छठी शिकायत HFNO की खरीद को लेकर है. आरोप है कि इमरजेंसी फंड का गलत इस्तेमाल किया गया. HFNO की खरीदने को लेकर ज्यादा कीमत पर खरीद हुई. इस मामले में भी एक्शन संभव है. यह मामला क्रिमिनल ऑफेंस का बनता है.