भोपाल। नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सरकार अब नियामक आयोग बनाने जा रही है। पिछले दिनों एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसकी घोषणा की थी। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।
सामान्य प्रशासन विभाग और विधि विभाग ड्राफ्ट का परीक्षण कर अपनी राय देंगे। इसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। एक जुलाई से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र के दौरान ही इसे कैबिनेट में प्रस्तुत करने की तैयारी है। कैबिनेट से स्वीकृति के बाद केंद्र के इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) एक्ट के अनुरूप राज्य सरकार अपने नियम बनाएगी।
इन्हीं नियमों के अनुरूप नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता जारी की जाएगी। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आईएनसी ने एक्ट तैयार कर लिया है। इसके अनुरूप में ही प्रदेश में नियामक आयोग का गठन किया जाएगा। आयोग का काम मुख्य रूप से निगरानी का रहेगा।
कॉलेजों की मान्यता के पहले उनकी जांच करने वाले दलों का गठन कैसे हो, निरीक्षण किस अवधि में किया जाए। कॉलेज गड़बड़ी करते हैं तो उनके विरुद्ध क्या और किसे कार्रवाई का अधिकार होगा। इन सभी विषयों पर काम करेगा। परीक्षा कराने का काम नर्सिंग काउंसिल का रहेगा।
अधिकारियों ने बताया कि जब तक नए नियम नहीं बनते तो 2024-25 के सत्र में कॉलेजों को मान्यता आईएनसी द्वारा तैयार किए जा रहे नियम और मापदंडों के अनुसार ही दी जाएगी। 2023-24 में प्रदेश में किसी नए नर्सिंग कालेज को मान्यता नहीं दी गई थी।
अपने नियम बनाने के बाद शुरू हुआ फर्जीवाड़ा
इस सत्र से मान्यता देने की तैयारी है। बता दें कि 2018 के पहले तक आईएनसी के नियम ही चल रहे थे, पर इसके बाद राज्य सरकार ने मान्यता को लेकर अपने नियम बना लिए थे। इसके बाद से नर्सिंग संस्थाओं में फर्जीवाड़ा शुरू हुआ।
नियामक आयोग बनाने के संबंध में ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। अब सामान्य प्रशासन विभाग और विधि विभाग में इसका परीक्षण किया जा रहा है। उनकी राय आने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। – तरुण पिथौड़े, आयुक्त, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा