कहते हैं न कि पति का प्यार और सपोर्ट हो तो एक पत्नी का जीवन स्वर्ग से भी सुंदर बन जाता है. शिखा की भी कहानी बिल्कुल ऐसी ही है, उनके जीवन में शक्ति का आना किसी चमत्कार से कम नहीं रहा है. शिखा और शक्ति की कहानी पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले की है, जहां दोनों साथ-साथ रहते हैं. शिखा के शरीर का निचला अंग बिल्कुल भी काम नहीं करता है. वो हर छोटे-बड़े काम के लिए दूसरों पर निर्भर हैं, लेकिन एक बेहतर जीवनसाथी के सहयोग से उनका जीवन मानों किसी वरदान से कम नहीं है.

अब शिखा ने एक बेटी को भी जन्म दिया है. शिखा और शक्ति माजी के परिवार में बहुत खुशी का माहौल है. शिखा के लिए इस कंडीशन में एक स्वस्थ बच्ची को जन्म देना काफी मुश्किल भरा हो सकता था, लेकिन वर्दवान मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की सूझ-बूझ के कारण ऐसा सुरक्षित तरीके से कर लिया गया है.

ढाई फीट लंबी हैं शिखा

शिखा की लंबाई ढाई फीट है. वो ‘ड्वार्फ प्रिज्म व्हीलचेयर सिंड्रोम’ बीमारी से पीड़ित हैं. उन्हें हर काम के लिए शक्ति गोदी में उठाकर ले जाते हैं. शक्ति कहते हैं शिखा के साथ रहना उनके लिए चुनौतीभरा जरूर रहा है, लेकिन शिखा उनके लिए कभी बोझ नहीं रही हैं. शिखा की डिलीवरी के लिए 6 टीमों की गठित की गई थीं.

अस्पताल में ऐसा पहली बार हुआ है

बर्दवान अस्पताल में ‘ड्वार्फ प्रिज्म व्हीलचेयर सिंड्रोम’ बीमारी से ग्रसित महिला की पहली सफल डिलीवरी है. डॉक्टर्स भी इस सफलता से काफी खुश है. जब शिखा ने बच्ची को जन्म दिया तो शक्ति माजी ने प्रसूति विभाग के डॉक्टर केपी दास से मुलाकात की और उन्हें धन्यवाद भी अदा किया है. बर्दवान मेडिकल के डॉक्टर मलय सरकार ने असंभव को संभव कर दिखाया. इसमें डॉक्टर केपी दास, एसपी दास, सुमंत घोष मौलिक भी शामिल रहे. डॉक्टरों ने वैकल्पिक एनेस्थीसिया का इस्तेमाल करके सिजेरियन सेक्शन करने का फैसला लिया है.