म्यांमार में एक बार फिर रोहिंग्याओं को हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. म्यांमार के 2017 से ही हालात बिगड़े हुए हैं और 7 साल भी हालात काबू में नहीं आ रहे हैं. म्यांमार की आंग सान सू सरकार के तख्तापलट के बाद से ही देश की सेना और अराकान आर्मी के बीच संघर्ष जारी है. म्यांमार के पश्चिमी इलाके रखाइन में सोमवार को हुए आर्टिलरी और ड्रोन हमले में लगभग 150 रोहिंग्या मुसलमानों के मारे जाने की खबर है. रोहिंग्या पर हुए इस हमले का आरोप अराकान आर्मी पर लगा है.
डॉक्टर विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक पिछले हफ्ते म्यांमार से बांग्लादेश भागकर आए रोहिंग्या नागरिकों ने बताया कि उनके समुदाय के ऊपर ड्रोनों और आर्टिलरी शेल्स से हमला हुआ है. बांग्लादेश में उथल-पुथल के बीच भी रोहिंग्या नागरिक अपना देश छोड़कर यहां आने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि अराकान आर्मी ने इस हमले के आरोपों को खारिज कर दिया है.
चारों तरफ दिखी लाशें
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो में देखा जा सकता है कि कीचड़ के मैदान में लोगों के शव पड़े हुए हैं. रॉयटर्स को एक चश्मदीद ने बताया कि उसने कम से कम 70 शवों को देखा है. दावा किया जा रहा है कि मरने वालों की संख्या 150 से कहीं ज्यादा हो सकती है.
अराकान आर्मी की प्रतिक्रिया
अराकान आर्मी ने हमले के आरोपों को नकारते हुए दावा किया कि यह हमला उनके कंट्रोल वाले इलाके में नहीं हुआ है. अराकान आर्मी ने पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की है. हालांकि, हमले के रोहिंग्या सरवाइवर्स और एक्टिविस्ट्स का दावा है कि ये हमला अराकान आर्मी ने किया है. एक्टिविस्ट्स का दावा है कि वे लगातार रोहिंग्या मुसलमानों पर हमले करते आ रहे हैं. इससे पहले भी अराकान आर्मी पर मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप लगते रहे हैं.
2017 से जारी है हिंसा
2017 में म्यांमार की सेना की ओर से की गई आक्रामक कार्रवाई के बाद 740,000 से ज्यादा रोहिंग्या नागरिक बांग्लादेश भाग गए थे और वे आज भी वहां के रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे हैं. म्यांमार में बचे रोहिंग्या नागरिक आज भी अपने नागरिक अधिकारों की कमी का सामना कर रहे हैं.
इस नई हिंसा का आरोप म्यांमार की सरकार ने अराकान आर्मी पर लगाया है, लेकिन रोहिंग्या को लेकर एकतरफा बयानबाजी और प्रोपगैंडा की भी भरमार है, जो किसी भी नतीजे पर पहुंचने में मुश्किल पैदा करता है.
इस समय वक्त म्यांमार में गृह युद्ध जैसे हालात हैं वहां की सेना और अराकान आर्मी में संघर्ष जारी है. देश के नागरिकों के लिए अभी शांति की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है.