बजट में सोना चांदी से इंपोर्ट टैक्स कम कर दिया गया है. जिसके बाद देश में सोने और चांदी के गहने सस्ते हो जाएंगे. मोबाइल और बाकी चीजों को भी सस्ता कर दिया गया है. जॉब को लेकर इतना बड़ा बजट आज तक नहीं रखा गया. मतलब कि आम लोगों को खुश करने के तमाम इंतजाम इस बजट में रखे गए हैं. लेकिन क्या आपको जानकारी है कि इसी बजट में सब्सिडी में भी कटौती की गई है. इसका मतलब है कि आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी राहत रियायतों को कम किया गया है. आइए आपको भी समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर देश की सरकार ने कितनी सब्सिडी कम कर दी है, जिसकी वजह से देश के गरीब और मिडिल क्लास तबके को राहत मिलती हुई दिखाई दे रही थी.
कितनी कम हुई सब्सिडी
सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में पेश वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में खाद्य, उर्वरक और फ्यूल के लिए अपने सब्सिडी खर्च को 7.8 फीसदी तक कम करने की घोषणा की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश करते हुए जानकारी दी कि चालू वित्त वर्ष के लिए कुल सब्सिडी आवंटन 3,81,175 करोड़ रुपए है, जो पिछले वर्ष के 4,13,466 करोड़ रुपए के आंकड़े से कम है. यह कटौती फरवरी के अंतरिम बजट में जताये गए अनुमानों के अनुसार ही है.
फूड सब्सिडी कितनी की कम
इस बजट में फूड सब्सिडी के लिए 2,05,250 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं, 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए 2,12,332 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान से कम है. यह सब्सिडी सरकार द्वारा खरीदे गए खाद्यान्नों की आर्थिक लागत और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत उनकी बिक्री से हुई प्राप्ति के बीच के अंतर को पूरा करती है. इस योजना का लाभ लगभग 80 करोड़ लोगों को मिलता है. आने वाले दिनों में गरीब लोगों के लिए थोड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
किसानों की खाद में सब्सिडी कम
खाद सब्सिडी में और अधिक महत्वपूर्ण कटौती देखी गई है. इसमें पिछले वित्त वर्ष के लिए 1,88,894 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान के मुकाबले 2024-25 के लिए 1,64,000 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की गई है. इसका मतलब है कि इसमें करीब 25 हजार करोड़ रुपए की कटौकी गई है. यह सब्सिडी निर्माताओं का समर्थन करती है और किसानों के लिए सस्ती कीमतें बनाए रखने में मदद करती है, जिसमें डीएपी और एमओपी जैसे यूरिया और गैर-यूरिया खाद दोनों शामिल हैं. इस सब्सिडी के कम होने से किसानों की लागत में बढ़ोतरी होगी और देश में महंगाई में इजाफा होगा.
गैस सिलेंडर की सब्सिडी में कटौती
सबसे बड़ा झटका आम लोगों को पेट्रोलियम सब्सिडी के कम होने से लगा है. इसका सीधा कनेक्शन देश आम लोगों के घरों की किचन से जुड़ा हुआ है. पेट्रोलियम सब्सिडी के तहत सरकार ने रसोई गैस (एलपीजी) की सब्सिडी में कटौती की है. आंकड़ों के अनुसार सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए यह सब्सिडी 11,925 करोड़ रुपए रखी है, जोकि बीते वित्त वर्ष के मुकाबले 315 करोड़ रुपए कम है. आप कह सकते हैं कि सरकार ने इसमें मामूली कटौती की है, लेकिन आम लोगों के हिसाब से ये काफी बड़ी है. वित्त वर्ष 2023-24 में पेट्रोलियम सब्सिडी 12,240 करोड़ रुपए थी.