इंदौर। इंदौर की शहरी सीमा के बाहर नेमावर रोड पर गुटकेश्वर महादेव मंदिर देवगुराड़िया है। यह प्राचीन शिव मंदिरों में शामिल है। एक समय जब पर्याप्त बारिश होने के आंकड़े जनमानस को नहीं मिलते थे, तो उस समय यहां स्थित गोमुख से निकलने वाले जल से पर्याप्त बारिश का अंदाजा लगाया जाता था।
मंदिर के द्वार की कारीगरी 11-12वीं शताब्दी की है। इस प्राचीन मंदिर के बारे में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं। इस स्थान को गरुड़ तीर्थ के नाम से जाना जाता है। 1784 में महेश्वर से इंदौर आगमन के दौरान देवी अहिल्या बाई यहां दर्शन-पूजन के लिए आई थीं। इस बात का उल्लेख होलकरकालीन दस्तावेज में मिलता है। मंदिर परिसर स्थित जलकुंड स्थान की सुंदरता में चार चांद लगाता है।
मंदिर का इतिहास
सावन मास में अधिक बारिश होने पर गोमुख से निकले जल से मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक होता है। गोमुख से जब जल निकलने लगे तो माना जाता है कि पर्याप्त बारिश हो चुकी है। यहां नाग-नागिन का जोड़ा भी नजर आ जाता है। भक्तों के बीच मान्यता है कि भगवान के गुटकेश्वर स्वरूप के पूजन से व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है।