संसद के बजट सत्र में देश की आर्थिक स्थिति से ज्यादा चर्चा महाकुंभ भगदड़ की है. विपक्ष भगदड़ में मरने की संख्या को लेकर सरकार को घेर रही है. वहीं सही आंकड़ों को लेकर सरकार साइलेंट है. 29 जनवरी को प्रयागराज के संगम नोज पर भगदड़ मच गई थी. सरकार और प्रशासन का कहना है कि यहां सिर्फ 30 लोग मरे, जबकि विपक्ष का कहना है कि इस हादसे में हजारों लोग मरे, जिसे सरकार छिपा रही है.
मौत के आंकड़े को लेकर हंगामा क्यों?
1. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मुताबिक अभी भी पुलिस और प्रशासन लोगों को ढूंढ नहीं पाई है. लोग लापता हैं, जिसके बारे में पुलिस कुछ नहीं बता पा रही है. पुलिस के लोगों को ही कुछ नहीं पता है. सरकार सच छिपा रही है.
2. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के मुताबिक महाकुंभ में 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. सरकार इससे ध्यान भटका रही है. राज्यसभा में जब जगदीप घनखड़ ने उन्हें टोका तो खरगे ने कहा कि सही आंकड़ा आप ही बता दीजिए.
3. राज्यसभा सांसद जया बच्चन के मुताबिक महाकुंभ में मरने वाले लोगों को गंगा में बहा दिया गया. सरकार जनता के सामने सच नहीं ला रही है. सरकार आखिर सच क्यों छिपा रही है, यह समझ से परे है.
4. सरकार ने अब तक सिर्फ महाकुंभ में एक ही जगह पर भगदड़ की बात स्वीकार की है. वहीं टीवी-9 से बात करते हुए जगदगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि 6 जगहों पर भगदड़ की खबर है. उन्होंने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से यह कहा.
5. हादसे के बाद प्रशासन की तरफ से मौत को लेकर सिर्फ एक बार अपडेट दिया गया है. इसके बाद न तो कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई है और न ही कोई जानकारी दी गई है. सरकार पर इसलिए भी सवाल उठ रहे हैं.
6. अखिलेश यादव के मुताबिक जब कुंभ में लोग मर रहे थे, तब सरकार हेलिकॉप्टर से फूल बरसा रही थी. जो सनातन परंपरा का घोर अपमान है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुप रहने को लेकर भी अखिलेश ने सवाल उठाया.
मौत को सामान्य बताने पर भी सवाल
पश्चिम बंगाल से महाकुंभ जाने वाले 3 श्रद्धालुओं की भगदड़ में मौत हो गई. तीनों श्रद्धालु कोलकाता की बसंती पोद्दार, शालबोनी की उर्मिला भुइयां और जमुरिया के विनोद रुईदास के शव के साथ कोई डेथ सर्टिफिकेट नहीं दिया गया.
बंगाल सरकार के मंत्री अरुप विश्वास ने इसको लेकर सवाल उठाया. मंत्री का कहना था यह नियम यूपी में ही चल सकता है. यूपी की सरकार आंकड़े दबाने के लिए इस तरह का खेल कर रही है.
वहीं कई ऐसी भी शिकायतें सामने आई है, जहां मृतकों के परिजनों से प्रशासन सामान्य वजहों से मौत लिखवा रही है. इसके बाद ही उन्हें शव सौंपा जा रहा है.
सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं
महाकुंभ की तैयारी के वक्त यूपी की सरकार ने 100 करोड़ लोगों को स्नान कराने की व्यवस्था करने की बात कही थी. यूपी सरकार के मंत्री हर राज्यों में जाकर आमंत्रण पत्र बांट रहे थे, लेकिन मौनी अमावस्या के आसपास स्थिति पूरी तरह चरमरा गई.
अखिलेश यादव के मुताबिक पहली बार मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में साधु और संन्यासी स्नान नहीं कर पाए. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इसको लेकर सवाल उठाया है.
शंकराचार्य का कहना है कि जब 100 करोड़ लोगों की व्यवस्था थी, तब 10-20 करोड़ भी क्यों नहीं संभाल पाए? वहीं अखिलेश यादव ने लोकसभा में आरोप लगाया कि सरकार प्रचार करती रही, इंतजाम नहीं कर पाई.