उत्तर प्रदेश के बरेली में 250 वर्ष पुराने श्री गंगा महारानी का मंदिर कब्जा मुक्त करा दिया गया. हिंदू पक्ष के लोगों ने मंदिर पर भगवा ध्वज लगाया है. यहां कई वर्षों से वाजिद अली अवैध कब्जा कर अपने परिवार के साथ रह रहा था. हिंदू पक्ष ने जिला प्रशासन को मंदिर के दस्तावेज दिखाए. इसपर कब्जाधारी वाजिद कोई कागज नहीं दिखा सका. भारी पुलिस बल के साथ पहुंची प्रशासनिक टीम ने मंदिर को अवैध कब्जे से मुक्त करा दिया गया. हिंदू पक्ष के लोगों का कहना है कि लंबे समय से यहां पर समुदाय विशेष के एक परिवार का कब्जा था, जिसके चलते मंदिर में पूजा अर्चना नहीं की जा रही थी.

लोगों ने बताया कि मंदिर में रखी मूर्तियों को भी हटा दिया गया था. हिंदू संगठन के पदाधिकारी मंदिर को गोमूत्र और गंगाजल डालकर छिड़काव करेंगे. मंदिर में फिर से गंगा महारानी की प्रतिमाओं को स्थापित किया जाएगा. मंदिर प्राचीन है और इसे 250 साल पुराना बताया जा रहा है. श्री गंगा जी महारानी मंदिर स्वामित्व दावेदार और शिकायकर्ता राकेश सिंह ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण उनके पूर्वज लक्ष्मण सिंह ने करीब 250 वर्ष पहले कराया था.

किराए पर लिए गए थे मंदिर के कमरे

राकेश सिंह ने बताया कि वर्ष 1905 में यह जमीन मंदिर नाम दर्ज कर दी गई थी. डॉली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति लिमिटेड ने इसके दो कमरे किराए पर लिए थे. बाद में सोसायटी की पक्की बिल्डिंग बनने के बाद उन्हें खाली कर दिए. इस बीच सोसायटी की आड़ में चौकीदार के पद पर तैनात वाजिद ने कमरे खाली नहीं किए और वह अपने परिवार के साथ यहां रहता रहा. इधर, डॉली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति सचिव विकास शर्मा ने बताया कि उन्होंने नोटिस चस्पा कर दिया है और अब उनका मंदिर में कोई लेने देना नही है.

हिंदू पक्ष ने दिखाए कागज

हिंदू पक्ष की ओर से की गई शिकायत में बताया गया था कि डॉली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति लिमिटेड का कार्यालय बोर्ड की आड़ में वाजिद और उसके बेटों ने मंदिर भवन पर कब्जा कर लिया है. शिकायत के बाद हरकत में आई जिला प्रशासन की टीम ने दोनों पक्षों से मंदिर के दस्तावेज मांगे. हिंदू पक्ष की ओर से कागज दिखाए गए, लेकिन वाजिद कोई सुबूत नहीं दिखा सका.

कराया कब्जा मुक्त

शुक्रवार को जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और उन्होंने कब्जेधारी वाजिद को मंदिर से कब्जा हटाने के लिए एक घंटे का समय दिया. आनन-फानन में उन लोगों का सामान निकाल कर मंदिर को कब्जे से मुक्त कराया गया. हिंदू पक्ष ने यह दावा किया था कि वाजिद ने अपने परिवार समेत इस मंदिर पर कब्जा कर रखा है. वह लोग के मंदिर में पूजा अर्चना भी नहीं करने देते थे. धीरे-धीरे मंदिर की प्रतिमाओं को भी वहां से हटा दिया गया था. जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची तो उन्होंने वाहिद को वहां से हटाया. इस बीच मौके पर भारी पुलिस बल की मौजूदगी रही.