पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसानों ने अदालत द्वारा गठित समिति के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि किसानों द्वारा सीधे या उनके अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से किसी भी सुझाव/मांग के लिए अदालत के दरवाजे हमेशा खुले हैं.
बुधवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई. पिछली तारीख में कोर्ट ने उच्चाधिकार समिति से किसानों को विरोध को अस्थायी रूप से स्थानांतरित या निलंबित करने के लिए मनाने के लिए कहा था.
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि हमारे आदेश के बाद क्या हुआ? पंजाब एजी गुरमिंदर सिंह ने कहा कि आपके आदेश के बाद, डल्लेवाल (आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता) के साथ एक विस्तृत चर्चा हुई, लेकिन वह चिकित्सा परीक्षण से इनकार कर रहे हैं. उनके शरीर के सभी अंग ठीक हैं.
जस्टिस कांत ने कहा कि सरकार के साथ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें आंदोलन करने के लिए स्वस्थ होना होगा. एक निर्वाचित सरकार और संवैधानिक अंग के रूप में आप यह दोष नहीं देना चाहेंगे कि उनके साथ कुछ हुआ.
किसानों ने समिति से बातचीत करने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि डल्लेवाल 20 दिनों से अधिक समय से अनशन पर हैं. यह कहा गया है कि उनके साथ चर्चा की गई है उन्हें अपेक्षित, तत्काल चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के प्रयास चल रहे हैं. बातचीत के दौरान, किसानों ने इस अदालत द्वारा गठित समिति के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया है.
उन्होंने कहा कि पंजाब के एडवोकेट जनरल का सुझाव है कि किसानों को अपनी मांगें सीधे अदालत में प्रस्तुत करने की अनुमति दी जानी चाहिए. हम स्पष्ट करते हैं कि किसानों द्वारा सीधे या उनके अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से किसी भी सुझाव/मांग के लिए अदालत के दरवाजे हमेशा खुले हैं.
किसानों के आंदोलन पर गुरुवार को फिर सुनवाई
कोर्ट ने कहा कि जहां तक डल्लेवाल के स्वास्थ्य का सवाल है, राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि डॉक्टर की सलाह के अनुसार चिकित्सा सहायता तुरंत प्रदान की जाए.
जस्टिस कांत ने कहा कि गंभीर नतीजों को देखें. पूरे राज्य तंत्र को दोषी ठहराया जाएगा. किसानों को साथियों के दबाव में नहीं आना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट मामले पर गुरुवार दोपहर 2 बजे से आगे सुनवाई करेगा.