भारत के मशहूर तबला वादक और पद्मविभूषण से सम्मानित जाकिर हुसैन के दुखद निधन पर आरएसएस के नेता सुनील आंबेकर ने शोक व्यक्त किया. आंबेकर ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनकी मृत्यु से न केवल भारत के संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है, बल्कि पूरी दुनिया ने एक महान संगीत विभूति को खो दिया है.

सुनील आंबेकर ने अपने पोस्ट में लिखा कि जाकिर हुसैन की संगीत के प्रति निष्ठा और भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी श्रद्धा अतुलनीय थी. उन्होंने तबला को विश्व स्तर पर एक नया पहचान दिलाई और इसे एक अनोखे और आकर्षक स्वरूप में स्थापित किया. इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि जाकिर हुसैन का निधन संगीत प्रेमियों के लिए एक भारी क्षति है और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.

तबला वादक ही नहीं, संगीतकार भी थे

जाकिर हुसैन का जन्म 1951 में उस्ताद अल्लाह रक्खा के घर हुआ था. बचपन से ही संगीत में रुचि रखने वाले जाकिर ने सात साल की उम्र से ही सार्वजनिक मंचों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया था. वह न केवल एक महान तबला वादक थे, बल्कि एक बेहतरीन संगीतकार भी थे. उन्होंने ‘हीट एंड डस्ट’ और ‘इन कस्टडी’ जैसी फिल्मों के लिए संगीत रचनाएं की थीं और अंतर्राष्ट्रीय बैले और आर्केस्ट्रा प्रोडक्शन के लिए भी कई कंपोजिशन बनाई थीं.

इन पुरस्कारों से नवाजे गए थे जाकिर हुसैन

संगीत की दुनिया में जाकिर हुसैन को कई महत्वपूर्ण पुरस्कार मिले थे. उन्हें 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2023 में पद्मविभूषण जैसे सर्वोच्च सम्मान मिले थे. इसके अलावा, वह 1990 में ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से भी सम्मानित हुए थे. जाकिर हुसैन को अपने करियर में चार बार ग्रैमी पुरस्कार से नवाजा गया था, और वह सात बार ग्रैमी पुरस्कार के लिए नामित किए गए थे. उनका निधन भारतीय संगीत जगत और वैश्विक संगीत समुदाय के लिए एक अपूरणीय क्षति है.