यूपी के संभल में जामा मस्जिद के पास नखासा थाना क्षेत्र के खग्गू सराय इलाके में मिले 46 साल पुराने मंदिर को पुलिस की मौजूदगी में खोलने के अगले दिन डीएम और एसपी पहुंचे. उन्होंने इस दौरान मंदिर के पुजारी से बातचीत की. मंदिर से जुड़े कई सवाल पूछे. साथ ही साथ मंदिर में बैठ कर दोनों ने पूजा भी की. अब इसका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें दोनों पूजा करते दिख रहे हैं.

अब सवाल खड़ा होता है कि संभल के शिव-हनुमान मंदिर में डीएम और एसपी ने वर्दी में पूजा क्यों की? क्या अफसर वर्दी में पूजा कर सकते हैं? आइए जान लेते हैं क्या कहता है नियम?

मंदिर खुलने के बाद जानकारी करने गए थे डीएम-एसपी

संभल में शिव और हनुमान का यह मंदिर साल 1978 से ही बंद पड़ा था. इसका पता चलने पर डीएम और एसपी की अगुवाई में इसे खोला गया. इसके बारे में और जानकारी करने के लिए ही डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया और एसपी कृष्ण कुमार मंदिर पहुंचे थे. उसी दौरान उन्होंने पूजा-अर्चना भी की. मंदिर के पुजारी ने दोनों के तिलक लगाया और प्रसाद भी दिया.

डीएम और एसपी ने इस मंदिर के पुजारी से और जानकारी हासिल की. पूछा कि क्या इस मंदिर के बारे में किसी पुस्तक में जिक्र मिलता है. इस पर पुजारी ने उन्हें बताया कि इस मंदिर का नाम कार्तिक महादेव मंदिर है. कार्तिक महादेव मंदिर के बारे में संभल महादेव नामक पुस्तक में जिक्र है मिलता है.

संविधान में हर व्यक्ति को धर्म के पालन का अधिकार

जहां तक अफसरों के मंदिर में पूजा करने का प्रश्न है तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अश्विनी कुमार दुबे ने बताया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 अपने धर्म का पालन करने की अनुमति हर व्यक्ति को देता है, चाहे वह किसी भी पद पर हो या सामान्य आदमी हो. भारत के हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है. अनुच्छेद 25 वास्तव में धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है. इसमें कहा गया है कि किसी धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने का अधिकार हर भारतीय के पास है.

इसी तरह से संविधान का अनुच्छेद 26 यह धार्मिक मामलों के लिए प्रबंधन की स्वाधीनता का अधिकार देता है. अनुच्छेद 27 किसी धर्म विशेष के प्रचार के लिए कर के भुगतान के रूप में आजादी निर्धारित करता है और अनुच्छेद 28 कुछ शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक पूजा में मौजूद होने की स्वतंत्रता देता है.

आचरण नियमावली मौन पर नैतिक स्तर पर रोक

एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि अफसरों के सार्वजनिक रूप से जब अपनी धार्मिक मान्यता का सवाल आता है, तो इसके बारे में आईएएस-आईपीएस की सर्विस बुक में आचरण नियमावली मौन है. हालांकि, वे एक व्यक्ति के रूप में अपने परिसर में पूजा-पाठ या अपनी किसी भी धार्मिक मान्यता का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं. अफसरों की आचरण नियमावली इस बारे में कोई रोक नहीं लगाती है.

फिर भी नीतिगत स्तर पर जब कोई अफसर वर्दी में होता है तो उससे अपेक्षा की जाती है कि वह तटस्थ रूप से अपनी धार्मिक भावनाओं पर संयम रखते हुए काम करेगा. ऐसे में किसी वर्दीधारी अफसर को सार्वजनिक रूप से किसी मंदिर आदि में पूजा से बचना चाहिए. अगर वे सादे कपड़ों में केवल दर्शन-पूजन के लिए जाते हैं तो बात अलग है.

डीजीपी प्रशांत कुमार हेलीकॉप्टर से फूल बरसा कर चर्चा में आए थे

वैसे जहां तक अफसरों के सार्वजनिक रूप से पूजा-पाठ करने की बात है तो उत्तर प्रदेश के ही वर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार का भी वीडियो साल 2018 में खूब वायरल हुआ था. संयोग से तब वह मेरठ जोन के एडीजी थे. उन्होंने हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर फूलों की बारिश की थी. इस वीडियो को लेकर तब खूब चर्चा की गई थी.