ईरान अपनी परमाणु रणनीति को लेकर बड़ा बदलाव कर सकता है. अमेरिका में ट्रंप की वापसी और पश्चिमी देशों के दबाव के बीच ईरान में परमाणु हथियारों को लेकर डिफेंसिव रणनीति बदलने की मांग हो रही है. ईरानी अधिकारी देश की रक्षा रणनीति पर नए तरीके से विचार करने की आवाज उठा रहे हैं.

यही नहीं इस्लामिक गणराज्य के कुछ सांसद परमाणु हथियार बनाने की वकालत भी कर रहे हैं. रविवार को संसद सत्र के दौरान तेहरान के सांसद महमूद नबावियन ने मांग की है कि ईरान को उन तमाम हथियारों से खुद को लैस करना चाहिए जो उसके दुश्मन देशों के पास मौजूद हैं.

ईरान में परमाणु हथियार बनाने की मांग

नबावियन ने ईरान की संसद में परमाणु हथियार बनाने की मांग करते हुए कहा कि, ‘ईरान को अपने आतंकवादी दुश्मनों, यानी अमेरिका और इजराइल के पास मौजूद सभी हथियारों से खुद को लैस करना चाहिए.’ उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब ईरान के 39 सांसदों ने देश की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से न्यूक्लियर हथियारों को लेकर वर्तमान रणनीति पर दोबारा विचार करने की मांग की है.

ईरानी अधिकारी लंबे समय से सुप्रीम लीडर खामेनेई के उस फतवे का जिक्र करते हुए अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को शांतिपूर्ण बताते रहे हैं, जिसमें उन्होंने बड़ी मानवीय तबाही लाने वाले हथियारों को प्रतिबंधित किया था. हालांकि सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई के वरिष्ठ सलाहकार कमान खराजी ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि सुप्रीम लीडर अपने आदेश में पुनर्विचार कर सकते हैं.

‘ऐसा बदलाव करेंगे जो उन्हें पसंद नहीं आएगा’

इससे पहले ईरान के विदेश मंत्री अराघची ने भी परमाणु हथियारों को लेकर नीति में बदलाव के संकेत देते हुए कहा था कि अगर IAEA बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ईरान के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करता है, तो ईरान बिना झिझक पारस्परिक कार्रवाई करेगा और अपने परमाणु कार्यक्रम में नए उपायों को लागू करेगा, जो निश्चित तौर पर पश्चिमी देशों को पसंद नहीं आएगा.

ईरान की इस चेतावनी के बावजूद फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी IAEA बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की आगामी बैठक में ईरान के खिलाफ निंदा प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं ईरान के एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन के हेड मोहम्मद इस्लामी ने भी चेतावनी दी है कि IAEA की ओर से ईरान के खिलाफ किसी भी तरह के प्रस्ताव का जवाब दृढ़ता से दिया जाएगा.

न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर बातचीत को तैयार

ईरान के विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि ईरान न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर बातचीत के लिए भी तैयार है और उसका मानना है कि डिप्लोमेसी के जरिए किसी समझौते तक पहुंचा जा सकता है. अराघची ने शनिवार को ईरान के स्टेट टेलीविजन से बातचीत के दौरान कहा कि, ‘हमारा मानना ​​है कि कूटनीति के लिए खिड़की अभी भी खुली है, भले ही थोड़े समय के लिए ही क्यों न हो, बशर्ते कि दूसरे पक्ष वास्तविक इच्छाशक्ति दिखाएं. ऐसी प्रतिबद्धता के बिना, हम वैकल्पिक रास्ता अपनाएंगे.’

ईरान ने अक्टूबर 2025 तक का दिया समय

अराघची ने अपने बयान में जिस ‘कम समय अवधि’ का जिक्र किया है, वह अक्टूबर 2025 तक का समय माना जा रहा है, जब ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के खिलाफ लगे ज्यादातर प्रतिबंध UN सुरक्षा परिषद के 2231 प्रस्ताव के तहत हटा लिए जाएंगे. इसके बाद पश्चिमी देश ईरान पर इस तरह के प्रतिबंध दोबारा लागू नहीं कर सकेंगे.