पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी पंजाब सरकार को निगम चुनाव जल्द करवाने के आदेश दे दिए हैं जिसके तुरंत बाद अब आम पार्टी में विचार मंथन शुरू हो चुका है कि इन चुनावों को कैसे जीतना है, ताकि निचले स्तर तक पार्टी का वजूद नजर आए। खास बात यह है कि निगम चुनावों का सीधा असर 2027 के शुरू में होने जा रहे विधानसभा चुनावों पर भी पड़ेगा इसलिए सत्तापक्ष इन निगम चुनावों को गंभीरता से ले रहा है।
जालंधर की बात करें तो 2023 के लोकसभा के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुशील रिंकू ने 3 लाख से ज्यादा वोटें हासिल करके संसदीय चुनाव जीता था परंतु उसके बाद जब 2024 में लोकसभा के आम चुनाव हुए तो आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पवन टीनू मुश्किल से ही 2 लाख वोट ही क्रॉस कर सके। अब देखना होगा कि आगामी निगम चुनाव जीतने के लिए आम आदमी पार्टी क्या रणनीति बनाती है। निगम चुनावों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि अब फिर होगा दलबदल, कई नेता जल्द पलटी मारेंगे। इसी के चलते कौंसलर बनने के इच्छुक नेता अपने-अपने वार्ड का हिसाब किताब करने में जुटे और अपनों समर्थकों से सलाह भी कर रहे हैं ताकि उन्हें किसी पार्टी से लड़ना है।
फिर सरगर्म होने जा रहे हैं दलबदलू
लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद वैस्ट विधानसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी को भारी जीत नसीब हुई परंतु इस दौरान जमकर दलबदल हुआ। पिछले कुछ सालों में जालंधर के नेताओं की बात करें तो मोहिंदर सिंह के.पी, सुशील रिंकू, कर्मजीत कौर चौधरी, शीतल अंगुराल, पवन टीनू, गुरचरण सिंह चन्नी, जगबीर बराड इत्यादि अपनी मूल पार्टियों को छोड़कर दूसरी पार्टियों में जा चुके हैं। ऐसी स्थिति में वार्ड स्तर के कई नेता भी दलबदल कर चुके हैं। अब चूंकि निगम चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है, ऐसे में आने वाले दिनों में दलबदलू फिर सरगर्म हो सकते हैं। ‘आप’ नेतृत्व पूरा ज़ोर लगाएगा कि बाकी पार्टियों के नेता उनके खेमे में आएं।
इस समय हालात यह हैं कि शहर के कई नेता ऐसे हैं जिन्हें दलबदली करने की एवज में कोई फायदा नहीं हुआ। अब कौंसलर लेवल के कई नेता अपने-अपने वार्ड का हिसाब-किताब करने में जुट गए हैं और विभिन्न परिस्थितियों का विश्लेषण कर रहे हैं। खास बात यह है कि कौंसलर लैवल के कई नेताओं ने भी पिछले समय दौरान दलबदल किया था और कईयों ने तो बार-बार अपनी पार्टियों को बदला जिस कारण उनका जनाधार भी कमजोर हुआ है। वैसे कई नेताओं ने अपने समर्थकों से परामर्श करना शुरू कर दिया है कि निगम चुनाव किस पार्टी की ओर से लड़ा जाए। अब देखना है कि कुछ सप्ताह बाद जब नगर निगम के चुनाव होते हैं तो क्या समीकरण बनते हैं।