जहरीले सांप के काटने से मौत की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती हैं. अब इसको लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत में एक याचिका दायर की गई है. यह याचिका वकील विशाल तिवारी के माध्यम से दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि देश के सभी सरकारी अस्पतालों में पॉलीवेनम (एंटीवेनम) और सर्पदंश उपचार उपलब्ध कराया जाए.

याचिका में कहा गया है कि देश के सरकारी अस्पतालों, सरकारी मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में पॉलीवेनम (एंटीवेनम) और सर्पदंश उपचार उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके.

पिछले दो दशकों में सांप के काटने से 12 लाख लोगों की मौत

इसके साथ ही सर्पदंश रोकथाम स्वास्थ्य मिशन और सर्पदंश जन जागरूकता अभियान चलाने की मांग की गई है, ताकि मृत्यु दर में भारी कमी लाई जा सके, खासकर ग्रामीण भारत में. इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि सरकारी जिला अस्पतालों और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मानक चिकित्सा मानदंडों के अनुसार विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉक्टरों के साथ सर्पदंश उपचार और देखभाल इकाई स्थापित की जानी चाहिए.

याचिकाकर्ता के अनुसार, पिछले दो दशकों में सांप के काटने से दस लाख से अधिक भारतीयों की मौत हुई है. दलील दी गई है कि भारत में 2000 से 2019 तक सांप के काटने से 12 लाख लोगों की मौत हुई है. इस हिसाब से औसतन 58 हजार लोगों की जान हर साल सांप के काटने से होती है. इनमें से करीब आधे पीड़ित 30-69 साल की आयु के थे और एक चौथाई से ज्यादा 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे.

इन राज्यों में सांप से मरने वालों का तादाद ज्यादा

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में इसके ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं. कहा गया है कि इन राज्यों में घनी आबादी वाले कम ऊंचाई वाले कृषि क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को 2001-2014 की अवधि के दौरान 70 फीसदी मौतों का सामना करना पड़ा.

इसमें हाल ही में परिभाषित तेलंगाना राज्य भी शामिल है. इस याचिका में कहा गया है कि खास तौर पर बरसात के मौसम में ऐसे मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं जब घर के अंदर और बाहर सांपों और इंसानों के बीच मुठभेड़ होती है.