हरियाणा के चरखी दादरी में अगस्त महीने में मॉब लिंचिंग मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. मांस की जांच रिपोर्ट में संरक्षित पशु का मांस नहीं मिला है. गौ रक्षकों द्वारा साबिर और उसके साथ कूड़ा बीनने वाले आसीरुद्दीन की लाठी और डंडों से बेरहमी से पिटाई की गई थी. आरोप लगाया गया था कि यह गौ मांस पकाते और खाते हैं. वहीं कुछ देर बाद ही साबिर की लाश वहां से कुछ दूरी पर मिलती थी जबकि उसके साथ कूड़ा बिन वाले असीरूद्दीन भी बेहद जख्मी हालत में पाया गया था.

दरअसल चरखी-दादरी के बाढ़डा कस्बे में 27 अगस्त को मॉब लिंचिंग में पश्चिम बंगाल के युवक साबीर मलिक की गौरक्षकों द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि 6 आरोपियों की गिरफ्तारी अभी बाकी है. पुलिस फरार चल रहे आरोपियों की तलाश में जुटी हैं. पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है ,उसके मुताबिक साबिर के साले शूजाउद्दीन ने एफआईआर में लिखवाया है कि साबिर अपने परिवार के साथ बाढड़ा इलाके में झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहता था और कचरा बीनने का काम करता था.

एफआईआर में क्या कहा?

एफआईआर के मुताबिक, 27 अगस्त को कुछ लोग शूजाउद्दीन और उसके साथ कचरा बीनने वालों से बोले थे कि तुम लोग मंगलवार को मांस खाते हो. हो सकता है. पूछताछ करने के बाद अपने साथ बाढड़ा थाने ले गए. शूजाउद्दीन का आरोप है कि कुछ दूसरे लोग उसके जीजा साबिर के पास पहुंचे और बोले की उन्हें कबाड़ का कुछ सामान देना है. जिसके बाद वह बस स्टैंड के पास ले गए और वहीं पर असीरुद्दीन को भी बुला लिया. उसके बाद चार-पांच लड़कों ने साबिर और असीरुद्दीन के साथ मारपीट की. मारपीट करने के बाद आरोपी शाका और गौरव जो कि गौ रक्षा दल से जुड़े हैं, वह अपने कुछ लोगों के साथ साबिर को बाइक पर ले गए. बाद में साबिर की लाश भंडवा गांव के पास मिली. जबकि असीरुद्दीन भी घायल अवस्था में भंडवा के पास ही मिला.

आरोप लगाया जा रहा है कि गौ रक्षों ने गौ मांस बनाने और खाने के शक में साबिर की पीट पीटकर हत्या की और असीरूद्दीन की भी पिटाई कर उसको जख्मी कर दिया. जिसका काफी लंबे समय तक अस्पताल में इलाज चला.

ये है पूरा मामला

दरअसल असम और पश्चिम बंगाल के यह प्रवासी मजदूर हंसावास खुर्द में झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहते थे और कूड़ा बीनने का काम करते थे. 27 अगस्त को कुछ लोग इसी हंसावास खुर्द में उस जगह पर पहुंचे और आरोप लगाया कि गाय का मांस इसी जगह बनाया और खाया जाता है. अब वहां पर सिर्फ रसोई और झोपड़ी के निशान बाकी हैं. इस वारदात के बाद यहां रहने वाले सभी मजदूर अपने-अपने परिवारों को लेकर अपने-अपने शहर वापस जा चुके हैं. साबिर और उसका परिवार भी वापस पश्चिम बंगाल चला गया है लेकिन जांच रिपोर्ट आने के बाद ये सवाल उठता है कि हंसावास खुर्द के इस जगह पर झोपड़ी में बनाया जा रहा मांस जब गोमांस नहीं था तो क्यों अफवाह उड़ाई गई? निर्दोष लोगों की लाठी डंडों से पिटाई की गई और फिर साबिर की हत्या कर दी गई.

इस मॉब लिचिंग का मामले के तूल पकड़ने पर पुलिस ने हंसावास खुर्द के पास बनी प्रवासी श्रमिकों की झुग्गियों के बर्तनों से बरामद मांस के नमूने लेने के लिए भी एक टीम को बुलाया था और मांस के नमूने लेकर जांच के लिए फरीदाबाद लैब भेजा गया था. उस नमूने की रिपोर्ट अब पुलिसके पास आ गई है. इसमें बर्तनों में मिले मांस को संरक्षित पशु का नहीं बताया गया है.

बाढड़ा डीएसपी भारत भूषण के मुताबिक, साबिर मलिक हत्याकांड में पुलिस द्वारा 10 आरोपियों को गिरफ्तारी किया जा चुका है. जबकि 6 आरोपियों की गिरफ्तारी बाकी है. उन्होंने बताया कि फरीदाबाद लैब से मांस के लिए गए नमूने की रिपोर्ट आ गई है. जिसमें संरक्षित पशु का मांस नहीं मिला है. जल्द ही मामले को लेकर कोर्ट में पेश किया जाएगा.

आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस

डिप्टी एसपी भारत भूषण ने जानकारी देते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के गांव बासंती निवासी सुजाउद्दीन सरदर की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया था. जिसमें कोलकत्ता निवासी साबिर मलिक की हत्या का आरोप कई लोगों पर लगाया गया था. बाढड़ा थाना पुलिस ने चार नामजद व अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने 28 अगस्त को दो नाबालिगों को हिरासत में लिया था, पांच युवकों को गिरफ्तार किया था. आरोपी अभिषेक उर्फ शाका, रविंद्र उर्फ कालिया, मोहित, कमलजीत व साहिल उर्फ पप्पी में कमलजीत को छोड़कर अन्य चार आरोपितों को चार दिन के रिमांड पर भेजा गया था. वहीं पुलिस ने 31 अगस्त को एक और आरोपित मोहित को गिरफ्तार किया था. पुलिस के अनुसार आरोपियों के पास से वारदात में इस्तेमाल की गई एक एंबुलेंस, एक बाइक और पांच डंडे भी बरामद किए हैं. अब लैब रिपोर्ट आने के बाद इस रिपोर्ट को कोर्ट में पेश किया जाएगा.