उद्योगपति रतन टाटा का इसी महीने की 9 तारीख को निधन हो गया था. जीवनभर सादगी की मिसाल रहे रतन टाटा जाते-जाते भी अपनी दरियादिली का सबूत दे गए. उनके निधन के बाद अब उनकी वसीयत सामने आई है, जिसमें उन्होंने अपने पालतू जर्मन शेफर्ड कुत्ते ‘Tito’ के लिए भी एक हिस्सा रखा है. वहीं इस वसीयत में उनके कुक राजन शॉ और बटलर सुब्बियाह के लिए भी व्यवस्था की गई है.

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक रतन टाटा की निजी संपत्ति करीब 10,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है. वसीयत में उनके भाई जिम्मी टाटा, उनकी सौतेली बहन शिरीन और डिना जीजभॉय के लिए भी एक हिस्सा रखा गया है, बाकी ज्यादातर संपत्ति उनके अपने फाउंडेशन के नाम कर दी गई है, जो टाटा परिवार की एक परंपरा की तरह है.

6 साल पहले गोद लिया था टिटो

रतन टाटा की संपत्ति में उनके जर्मन शेफर्ड कुत्ते ‘टिटो’ के लिए संपत्ति का हिस्सा रखा गया है. इससे जब तक ‘टिटो’ जिंदा है, तब तक उसकी अनलिमिटेड केयर की जाएगी. इस कुत्ते को उन्होंने करीब 6 साल पहले गोद लिया था. इसका नाम टिटो उनके पुराने कुत्ते के नाम पर ही रखा गया, जिसने उसी वक्त अपनी आखिरी सांस ली थी.

भारत में इस तरह किसी का अपनी संपत्ति अपने पालतू पशु के नाम करना हो सकता है, नई घटना हो. लेकिन विदेशों में इस तरह की परंपरा काफी पहले से है.

रतन टाटा की वसीयत में उनके लिए लंबे समय तक कुक का काम करने वाले राजन शॉ और उनके लिए करीब 30 साल से बटलर की भूमिका निभा रहे सुब्बियाह के लिए भी संपत्ति का प्रावधान किया गया है. अपने हाउसहोल्ड स्टाफ के साथ रतन टाटा का इतना गहरा रिश्ता था कि विदेश यात्रा से लौटते वक्त वह अक्सर उनके लिए डिजाइनर कपड़े लेकर आया करते थे.अपने घर के सभी नौकरों के बेहतर भविष्य के लिए रतन टाटा अपनी वसीयत में इंतजाम करके गए हैं.

शांतनु नायडू का लोन किया माफ

लंबे समय से रतन टाटा के सहयोगी रहे शांतनु नायडू को भी उनकी वसीयत में जगह मिली है. शांतनु नायडू के स्टार्टअप ‘Goodfellows’ में रतन टाटा की जो हिस्सेदारी थी,उसे अब खत्म कर दिया गया है. इतना ही नहीं शांतनु नायडू की विदेश में पढ़ाई के लिए उसे जो लोन दिया गया था, उसे भी माफ कर दिया गया है.

इसके अलावा रतन टाटा की संपत्ति का ज्यादातर हिस्सा टाटा संस और टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी है. इसे अब रतन टाटा एंडाउनमेंट फाउंडेशन (RTEF) को ट्रांसफर कर दिया जाएगा. ये फाउंडेशन नॉन-प्रॉफिट वाले कामों के लिए फंडिंग का काम करेगा. इतना ही नहीं रतन टाटा ने पर्सनल कैपेसिटी में स्टार्टअप्स में जो निवेश किया था, उन्हें लिक्विडेट करके पैसे को इसी फाउंडेशन को ट्रांसफर किया जाएगा.