इंदौर। शहर के पंचकुइया स्थित अनाथ आश्रम- युगपुरुष धाम में रह रहे मानसिक दिव्यांग 5 बच्चों की पिछले तीन दिन में मौत हो चुकी है। अभी 29 बच्चों का इलाज चल रहा है। उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है। इनमें से भी पांच बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है।
शुरुआती जांच में फूड प्वाइजनिंग की बात सामने आ रही है। मगर, आश्रम प्रबंधन इससे इन्कार कर रहा है। मंगलवार सुबह तीन बच्चों की मौत की सूचना मिलते ही कलेक्टर आशीष सिंह ने एडीएम राजेंद्र रघुवंशी को जांच के लिए आश्रम भेजा था।
दोपहर बाद जब एक और बच्चे की मौत हुई तो कलेक्टर ने एडीएम गौरव बेनल की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी, जो पूरे मामले की जांच करेगी। वहीं, शाम को एक और बच्ची की मौत हो जाने से किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा है कि इसकी वजह क्या है।
मानसिक दिव्यांग बच्चों को रखा जाता है आश्रम में
बता दें कि मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को चाइल्ड लाइन और बाल कल्याण समिति द्वारा पंचकुइया क्षेत्र स्थित युगपुरुष धाम में रखा जाता है। इस आश्रम में 204 से ज्यादा बच्चे रहते हैं। ये सभी मानसिक रूप से दिव्यांग हैं और प्रदेश के अलग-अलग जिलों से यहां लाए गए हैं।
दो दिन में तीन मौतों के बाद जागा प्रशासन
रविवार 30 जून की रात आश्रम में रह रहे आठ वर्षीय शुभ को मिर्गी का दौरा पड़ा और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। अगले दिन सोमवार सुबह उल्टी-दस्त के चलते 12 वर्षीय करण ने भी दम तोड़ दिया। सोमवार रात सात वर्षीय आकाश की भी मौत हो गई। एक के बाद एक तीन बच्चों की मौत के बाद नींद से आश्रम प्रबंधन नींद से जागा।
इसके बाद कलेक्टर के हस्तक्षेप पर मंगलवार सुबह पीड़ित बच्चों को शहर के चाचा नेहरू अस्पताल की आईसीयू में भर्ती कराना शुरू किया। मगर, अस्पताल ले जाने से पहले मंगलवार दोपहर आश्रम में पांच वर्षीय छोटे गोविंद की भी मौत हो गई। इसके बाद आश्रम प्रबंधन ने सात अन्य बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया। यहां मंगलवार देर शाम सात वर्षीय बच्ची दीया ने भी दम तोड़ दिया।
दुबले-पतले बच्चे, खून की थी कमी
- आश्रम में रहते हैं 217 बच्चे, इनमें 101 लड़के शामिल
- जिन बच्चों की मौत हुई उनकी उम्र 5 से 13 साल के बीच
- पोस्टमार्टम से पता चला कि बच्चों शरीर में थी खून की कमी
- मौत की वजह फूड प्वाइजनिंग और एनीमिया बताया गया
- बच्चों के खून में इंफेक्शन, डिहाइड्रेशन की भी आशंका
- मृत बच्चों को कोई ज्ञात बीमारी नहीं थी, वे दुबले-पतले थे
कलेक्टर ने बनाई उच्च स्तरीय जांच समिति
बच्चों का उपचार कर रहे चिकित्सक भी यह सही-सही पता नहीं लगा पा रहे हैं कि इन बच्चों की हालत किस वजह से बिगड़ी। कलेक्टर ने उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की है। इसमें अपर कलेक्टर गौरव बेनल, संयुक्त संचालक महिला व बाल विकास डा. संध्या व्यास, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय की अधीक्षक व शिशु रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति मालपानी व वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीलेखा जोशी को शामिल किया गया है।
नाम | उम्र | निवासी | बीमारी |
शुभ | 8 | नर्मदापुरम | एपीलेप्सी |
करण | 12 | सतना | उल्टी-दस्त |
आकाश | 7 | नर्मदापुरम | |
गोविंद | 5 | – | खाने के बाद बिगड़ी तबीयत |
दीया | 7 | – | खाने के बाद बिगड़ी तबीयत
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मामले में अब तक क्या एक्शन हुआ
इंदौर के अनाथ आश्रम में बच्चों की मौत के बाद जिन एसडीएम ओमप्रकाश नारायण बड़कुल को जांच के साथ व्यवस्था संभालने के लिए भेजा गया, वो ठहाके लगाते रहे। इस मामले में वीडियो सामने आने के बाद कलेक्टर ने कार्रवाई करते हुए तुरंत उन्हें हटा दिया। एसडीएम के पास बच्चों को अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी थी।
सीएम ने कहा- एसडीएम का व्यवहार असंवेदनशील
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि बच्चों के निधन का समाचार हृदय विदारक है। मैं बाबा महाकाल से दिवंगत बच्चों की आत्मा को शांति प्रदान करने और बीमार सभी बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। मल्हारगंज एसडीएम को उनके असंवेदनशील व्यवहार के लिए पद से हटा दिया गया है।