दमोह : मध्यप्रदेश के दमोह में चिश्ती नगर स्थित दरगाह महान सूफी संत हजरत ख्वाजा अब्दुस सलाम चिश्ती रहमत तुल्ला अलैह का वार्षिक 34 वां उर्स मुबारक मनाया गया। इस अवसर पर देश भर से ख्वाजा साहब के मुरीद शिष्य पहुंचे और मज़ार शरीफ पर फूल चादर पेश किए गए चार दिवसीय उर्से सलामी में अनेक कार्यक्रम हुए जिसमें प्रसिद्ध शायरों मौलानाओं ने उर्स पाक की महफ़िलों में शिरकत की वहीं मेहमान क़व्वालों नें सूफियाना कलाम पढ़े गए।
ख्वाज़ा साहब ने अपने जीवन के आख़री पल दमोह में ही बिताए और यहीं बनी दरगाह
ख्वाजा साहब के मुरीद (शिष्य) देश भर में मौजूद हैं। आप ख्वाजा साहब जिला होशंगाबाद के पचमढ़ी की खूबसूरत वादियों को छोड़ दमोह में अपने मुरीदों (शिष्यों) के बीच रहना ही पसंद किया हयाते ज़िंदगी में अक्सर मुरीदों के पास दमोह में हाजी कासिम हाजी हासिम ठेकेदार के मकान पर रुकना होता रहा।
ख्वाज़ा साहब के जीवन के आखिरी पल दमोह में बीते और यहीं आपका इंतक़ाल पर्दा ऊर्दू माह ग्यारवीं शरीफ की 9 वीं तारीख को 34 वर्ष पूर्व दमोह में ही हुआ था जिनकी मज़ार दरगाह शरीफ ख्वाजा साहब के पसंदीदा अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर नैयर दमोही साहब के निवास स्थान पुराना बाज़ार नंबर 02 चिश्ती नगर में बनी। तभी से इस वार्ड को चिश्ती नगर के नाम से ख्याति मिली क्योंकि ख्वाजा साहब चिश्तिया सिलसिले से ताल्लुक रखते हैं।
यहां होने वाले उर्स कार्यक्रम में देश प्रदेश के अनेक शहरों से दरगाह पर हाजिरी देने आते हैं। दमोह के चिश्ती नगर में हर वर्ष होने वाला उर्स अंजुमन चिश्तिया कमेटी द्वारा किया जाता है। दमोह से बाहर अन्य शहरों से आने वाले ज़ायरीन दरबार में आते हैं और अपनी हाजरी देने के साथ ही दुआएं मांगते हैं। ख्वाजा साहब ने सभी धर्मों के लोगों को प्रेम और शांति का संदेश दिया।