देश के के 22 राज्यों में अपना विस्तार करने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में किन्नर अखाड़ा विदेशों में भी अपना विस्तार करने जा रहा है. प्रयागराज महाकुंभ को लेकर किन्नर अखाड़े ने अपने विस्तार का मेगा प्लान तैयार किया है. इस विस्तार की रूपरेखा में सात देशों के किन्नरों को बड़ी उपाधियों और ओहदे से सम्मानित किया जायेगा. किन्नर अखाड़े की बैठक में फैसला लिया गया है कि 2025 में प्रयागराज में आयोजित होने जा रहे महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा महाकुंभ में अब तक का सबसे बड़ा विस्तार करने जा रहा है.

किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी का कहना है कि महाकुंभ में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी समेत सात देशों के 12 किन्नर महाकुंभ में जगद्गुरु और महामंडलेश्वर बनाए जाएंगे. इसके साथ ही देश-विदेश में अब तक नामित 55 किन्नर संतों को मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और जगदगुरु की पदवी प्रदान की जाएगी. सनातन धर्म के शीर्ष पदों के रूप में प्रतिष्ठित महंत, पीठाधीश्वर, जगद्गुरु, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर की पदवी के लिए किन्नर संतों की सूची तैयार कर ली गई है. इसमें ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, रूस, अमेरिका, नेपाल और श्रीलंका के 12 किन्नर संत शामिल हैं. किन्नरों को महामंडलेश्वर और जगद्गुरु की पदवी मौनी अमावस्या के महास्नान पर्व पर प्रदान की जाएगी.

देश के 22 राज्यों में है विस्तार

किन्नर अखाड़े में अंदर ही अंदर बगावत चल रही है. अखाड़े का एक गुट स्वतंत्र रूप से अपने अधिकारों की मांग में आगे बढ़ चुका है. इसकी भरपाई करने के लिए किन्नर अखाड़ा अपने विस्तार की योजना पर कार्य कर रहा है. किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी की मौजूदगी में अखाड़े के विस्तार पर मुहर लग गई है. इनके विशेष योगदान को देखते हुए अलग-अलग उपाधियां देगा. देश विदेश से किन्नरों को इससे जोड़ा जायेगा.

महाकुंभ में यूपी के अलावा बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल के 43 किन्नर संत बड़े पदों पर आसीन कराए जाएंगे. यहां अभिषेक के बाद उन्हें क्षेत्रवार दायित्व दिया जाएगा. किन्नर देश भर के 20 राज्यों में किन्नर अखाड़ा काम कर रहा है.

उज्जैन और हरिद्वार के बाद तीन महीने बाद लगने वाले प्रयागराज के महाकुंभ में पहली बार किन्नर अखाड़े का अब तक का सबसे बड़ा विस्तार होगा. फिलहाल, किन्नर अखाड़े में तीन महामंडलेश्वर और एक पीठाधीश्वर हैं. इसके अलावा 200 पदाधिकारियों को अलग-अलग राज्यों में जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. अपने इस विस्तार के बाद किन्नर अखाड़ा महाकुंभ के शाही स्नान में जूना अखाड़ा के पीछे शाही स्नान में शामिल होगा.

किन्नर अखाड़े का विवादों से नाता

किन्नर समाज को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए 2015 में किन्नर अखाड़ा की स्थापना हुई। साल 2016 में आचार्य महामंडलेश्वर ने इस समाज के लोगों ने बनाया, लेकिन आज भी इसे अलग अखाड़े का दर्जा नहीं दिया गया है. जूना अखाड़े के अधीन ही इसकी स्वीकृति दी गई है. हरिद्वार में पहली बार निकली किन्नर अखाड़े की पेशवाई की. लोगों में इस अखाड़े को लेकर गजब का उत्साह है. किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने हरिद्वार कुंभ में देवत्व यात्रा की अगुवाई की. उत्तराखंड के हरिद्वार कुंभ 2021 में पहली बार किन्नर अखाड़ा भी शामिल हुआ था.