बीजेपी छोड़ने के 12 साल बाद संजय कुमार झा जनता दल यूनाइटेड में आधिकारिक तौर पर नंबर-2 के नेता बन गए हैं. शनिवार को नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्हें जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया. पार्टी के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी शख्स को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है.

2004 में बीजेपी से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले झा ने 2012 में जेडीयू का दामन थामा था. जेडीयू के भीतर झा की पहचान एक चुनावी रणनीति तैयार करने वाले नेता की है. बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले झा ने दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के एमए की पढ़ाई की है.

जेडीयू में कार्यकारी अध्यक्ष का पद कितना पावरफुल?

जनता दल यूनाइटेड के इतिहास में पहली बार किसी नेता को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. पार्टी के संवैधानिक स्ट्रक्चर में इस पद का कोई जिक्र नहीं है. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष को पार्टी के भीतर किसी भी तरह की नियुक्ति का अधिकार है. नीतीश कुमार ने इसी अधिकार के तहत संजय कुमार झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है.

जेडीयू से जुड़े नेताओं के मुताबिक संजय कुमार झा काम अध्यक्ष का ही करेंगे, लेकिन उनकी शक्ति में कटौती की गई है. इसके पीछे बड़े नेताओं को साधने की रणनीति है. जेडीयू के भीतर झा से कई सीनियर नेता काम कर रहे हैं, जो सिर्फ नीतीश कुमार को रिपोर्ट करना चाहते हैं.

कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद संजय कुमार झा ने पत्रकारों से कहा कि मेरी कोशिश पार्टी को बिहार से बाहर विस्तार करने की है, जिससे जेडीयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल पाए.

1. 2004 में एंट्री, 2006 में एमएलसी बने

दिल्ली के जेएनयू से पढ़ाई करने वाले संजय कुमार झा 2004 में सक्रिय राजनीति में आए. वे उस वक्त भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. 2006 में बीजेपी ने उन्हें बिहार विधानपरिषद के लिए नामित किया था. झा 2012 तक इस पद पर रहे.

2012 में जब झा का कार्यकाल खत्म हुआ तो उन्होंने पाला बदल लिया. जुलाई 2012 में वे बीजेपी छोड़ जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए. दिलचस्प बात है कि उस वक्त बिहार में दोनों दलों का गठबंधन था. झा की एंट्री के वक्त बीजेपी ने इसका मुखर विरोध किया था.

2. ब्लॉग मैनेजमेंट का जिम्मा संभाला, चुनाव हारे

नीतीश कुमार जब केंद्र में मंत्री थे, उसी वक्त संजय कुमार झा उनके संपर्क में आए थे. हालांकि, दोनों 2010 के आसपास करीब आए. नीतीश कुमार जब दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने ब्लॉग लिखना शुरू किया था. इस ब्लॉग का नाम नीतीश स्पीक था.

जेडीयू सूत्रों के मुताबिक उस वक्त ब्लॉग संजय कुमार झा ही इस पूरी व्यवस्था को देखते थे.

2014 में नीतीश कुमार ने संजय कुमार झा को दरभंगा से उम्मीदवार बनाया. हालांकि, इस चुनाव में झा की जमानत जब्त हो गई. उन्हें सिर्फ 12.6 प्रतिशत वोट मिले. बीजेपी के कीर्ति आजाद को इस चुनाव में जीत मिली थी. आरजेडी के फातमी दूसरे नंबर पर रहे थे.

3. मंत्री बने, बिहार चुनाव में जेडीयू को दिलाई अहम जीत

2019 में संजय कुमार झा बिहार सरकार में मंत्री बनाए गए. उन्हें जल संसाधन विभाग का जिम्मा सौंपा गया. 2020 के चुनाव में मिथिलांचल के इलाकों की जिम्मेदारी झा पर ही थी, जहां पर जेडीयू ने बड़ी जीत हासिल की.

कोरोना काल में हुए चुनाव में झा ने जेडीयू के तकनीक और सोशल मीडिया के लिए भी रणनीति तैयार की. बिहार में चुनाव बाद संजय झा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन आखिर वक्त में उमेश कुशवाहा को यह जिम्मेदारी दे दी गई.

झा को इसके बाद जेडीयू के संगठन में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया. झा एकमात्र नेता थे, जिनके पास संगठन और सरकार दोनों जगहों पर पद था.

4. 2017-22 में महागठबंधन की टूट में निभाई बड़ी भूमिका

2017 में नीतीश कुमार आरजेडी से गठबंधन तोड़कर एनडीए में शामिल हो गए थे. नीतीश को बीजेपी के साथ लाने में संजय कुमार झा ने बड़ी भूमिका निभाई थी. राजनीतिक गलियारों में संजय कुमार झा को बीजेपी और जेडीयू के बीच कड़ी के रूप में भी जाना जाता है.

2024 में भी नीतीश कुमार को बीजेपी के साथ लाने में संजय कुमार झा ने ही बड़ी भूमिका निभाई थी. संजय को इसका ईनाम भी मिला. नीतीश कुमार ने उन्हें पहले राज्यसभा भेजा और अब कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है.

संजय झा को ही क्यों मिली कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी?

1. अगले साल बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं. नीतीश कुमार को बीजेपी के साथ ले जाने में झा की बड़ी भूमिका रही है. झा के कार्यकारी अध्यक्ष बनने से सीट बंटवारे और अन्य विवाद आसानी से सुलझाने में पार्टी को मदद मिलेगी.

2. झा मिथिलाचंल क्षेत्र से आते हैं, जहां ब्राह्मणों की ठीक-ठाक आबादी है. हालिया लोकसभा चुनाव में मिथिलांचल इलाके में बीजेपी और जेडीयू ने क्लीन स्विप किया है. जेडीयू झा के जरिए यहां अपना जनाधार और बढ़ाने में जुटा है.

3. नीतीश कुमार के पास वर्तमान में सिर्फ 2 ही बड़े चेहरे हैं. इनमें एक ललन सिंह और दूसरा संजय झा का नाम है. ललन सिंह केंद्र में मंत्री बन गए हैं. ऐसे में झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर नीतीश ने शक्ति संतुलन का भी काम किया है.