मुख्यमंत्री रहते नेताओं का चरण कर कमल रहता है, लेकिन पद जाते ही पोस्टर से गायब हो जाते हैं… जनवरी 2024 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने ये बातें अपनी कुर्सी जाने के बाद कही थी. 8 महीने बाद शिवराज सिंह चौहान की ये बातें हूबहू हरियाणा के चुनावी दंगल में देखने को मिल रही हैं. यहां पर बीजेपी के कई नेताओं के पोस्टर से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गायब हो गए हैं. वो भी तब, जब खट्टर लगातार हरियाणा का सियासी दौरा कर रहे हैं.

9 साल तक हरियाणा में बीजेपी के चेहरा रहे खट्टर के पोस्टर से गायब होना सियासी सुर्खियों का विषय बना हुआ है. सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि खट्टर की तस्वीर कई नेताओं के पोस्टर में नहीं दिख रही है?

केंद्र में पावरफुल मंत्री हैं मनोहर लाल खट्टर

9 साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर को मोदी 3.0 में मंत्री बनाया गया है. खट्टर हरियाणा के एकमात्र मंत्री हैं, जिन्हें वर्तमान में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है. हरियाणा के राव इंद्रजीत सिंह स्वतंत्र प्रभार के तो कृष्णपाल गुर्जर राज्य मंत्री हैं.

विभागों की बात की जाए तो करनाल से सांसद खट्टर वर्तमान में उर्जा और शहरी विकास विभाग के मंत्री हैं. दोनों ही विभाग इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.

सैनी के पोस्टर पर जगह, पर यहां से गायब

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने लाडवा से नामांकन दाखिल किया है. सैनी की तरफ से नामांकन को लेकर जो पोस्टर जारी किए गए हैं, उसमें मनोहर लाल खट्टर की तस्वीर है, लेकिन राव इंद्रजीत सिंह की बेटी और कुलदीप बिश्नोई के बेटे के पोस्टर से खट्टर गायब हो गए हैं.

कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य आदमपुर से तो राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती अटेली से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. भव्य के पोस्टर पर सबसे बड़ी तस्वीर उनके दादा भजनलाल की और फिर पिता कुलदीप बिश्नोई की है. पोस्टर में नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान, नायब सैनी, सतीश पूनिया को भी जगह दी गई है.

इसी तरह आरती की पोस्टर पर राव इंद्रजीत सिंह की तस्वीर सबसे बड़ी है. इसके अलावा पोस्टर में नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, नायब सैनी और धर्मेंद्र प्रधान को जगह दी गई है.

1. राजनीतिक रिश्ते बेहतर नहीं- कुलदीप बिश्नोई और राव इंद्रजीत सिंह से मनोहर लाल खट्टर के राजनीतिक रिश्ते बेहतर नहीं माने जाते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान हिसार में खट्टर के एक बयान ने बिश्नोई परिवार से उनकी दूरी को और ज्यादा बढ़ा दी. दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान खट्टर ने एक पुराने किस्से के जरिए कुलदीप के पिता भजनलाल के खिलाफ निशाना साधा था.

चुनाव में हार के बाद कुलदीप ने खट्टर पर हमला बोला था और हार के लिए पूर्व सीएम को ही जिम्मेदार ठहराया था. राव इंद्रजीत से भी खट्टर के रिश्ते सामान्य नहीं थे. खट्टर के मुख्यमंत्री रहते इंद्रजीत ने कई बार सार्वजनिक मंचों से ही उनके खिलाफ बयान दिया था.

2. खट्टर के खिलाफ एंटी इनकंबैंसी- पोस्टर पर खट्टर की तस्वीर न होने की एक वजह उनके खिलाफ एंटी इनकंबैंसी को भी बताया जा रहा है. इन्हीं एंटी इनकंबैंसी की वजह से मार्च 2024 में बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था.

इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 10 में से 5 सीटों पर बीजेपी बुरी तरह हार गई. लोकसभा के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने खट्टर सरकार के कई पुराने फैसले को पलट दिए. इनमें सरपंचों के अधिकार और फैमिली कार्ड से जुड़े नियम प्रमुख थे.

कहा जा रहा है कि एंटी इनकंबैंसी की वजह से ही aकई उम्मीदवार अपने पोस्टर पर खट्टर की तस्वीर नहीं रखना चाहते हैं.

3. खट्टर का सियासी प्रभाव भी वजह- मुख्यमंत्री रहने से पहले मनोहर लाल खट्टर किसी बड़े पद पर नहीं रहे. ना ही हरियाणा की राजनीति में खट्टर का कोई बड़ा सियासी जनाधार रहा है. जिन नेताओं के पोस्टर पर खट्टर की तस्वीर नहीं है, उन नेताओं का अपना सियासी जनाधार है.

मसलन, भव्य बिश्नोई आदमपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. यह सीट उनके परिवार का गढ़ माना जाता है. भव्य के माता-पिता के साथ-साथ उनके दादा भी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. दिलचस्प बात है कि बिश्नोई परिवार इस सीट से 3 पार्टी के सिबंल पर चुनाव जीत चुके हैं.

इसी तरह का मामला आरती का है. आरती के पिता राव इंद्रजीत सिंह खुद बड़े नेता हैं. अहीरवाल बेल्ट में उनका अपना बड़ा जनाधार है. इस बेल्ट में इंद्रजीत के मुकाबले खट्टर की पकड़ काफी कमजोर है.