भगवान शिव को श्रावण भादो मास अति प्रिय है. यही कारण है कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण मास की शुरुआत होने के साथ ही यहां प्रतिदिन होने वाली भस्म आरती के समय में बदलाव हो जाता है. बाबा महाकाल अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए डेढ़ घंटा पहले जागते हैं. इस बार श्रावण मास की शुरुआत 22 जुलाई से हुई थी. इसके बाद बाबा महाकाल की सुबह होने वाली भस्म आरती के समय में बदलाव किया गया था.

डेढ़ महीने तक मंदिर में भस्म आरती बदले हुए समय के अनुसार ही चलती रही, लेकिन मंगवाल यानि तीन सितंबर से इस व्यवस्था में बदलाव होने वाला है. अब बाबा महाकाल की भस्म आरती पहले की तरह ही सुबह 4 बजे की जाएगी. महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि भक्त तो भगवान के लिए तरह-तरह के कठिन उपवास और तप करते ही हैं, लेकिन श्रावण मास में बाबा महाकाल भी भक्तों को दर्शन देने के लिए डेढ़ घंटा पहले जागते हैं.

बदल जाएगा भस्म आरती का समय

पुजारी पंडित शर्मा ने बताया कि इस वर्ष सोमवार के दिन बाबा महाकाल की भस्म आरती रात 2:30 बजे से शुरू हुई, जबकि सप्ताह के अन्य दिनों में यही भस्म आरती रात 3:00 बजे से शुरू होती थी, लेकिन अब तीन सितंबर से बाबा महाकाल की भस्म आरती के समय में बड़ा बदलाव होगा. बाबा महाकाल की प्रतिदिन होने वाली भस्म आरती अब सुबह चार बजे से ही शुरू की जाएगी. सावन के महीने में देश-विदेश से हजारों की संख्या में भक्त बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आए थे.

यह व्यवस्था भी बदलेगी

सावन महीने में देश-विदेश से बाबा महाकाल के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए चलित दर्शन व्यवस्था की शुरुआत भी मंदिर में की जाती है. श्रद्धालु चल दर्शन व्यवस्था के तहत बाबा महाकाल की भस्म आरती अधिक से अधिक संख्या में देख पाते थे, लेकिन भस्म आरती के समय में बदलाव होने के बाद अब यह व्यवस्था भी समाप्त हो जाएगी. अब पहले की तरह भस्म आरती में उन्हीं श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाएगा, जिनके पास अनुमति होगी.

बाबा महाकाल की भस्म आरती

बाबा महाकाल की भस्म आरती की शुरुआत प्रतिदिन चांदी द्वार के पास स्थित भगवान मानभद्र और वीरभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोलकर की जाती है, जिसके बाद सबसे पहले भगवान का स्नान, पंचामृत अभिषेक करवाने के साथ ही केसर युक्त जल अर्पित किया जाता है. इसके बाद बाबा महाकाल का भांग और मावे के साथ आभूषण पहनाकर श्रृंगार किया जाता है. बाबा महाकाल के श्रृंगार के बाद उन्हें महानिर्वाणी अखाड़े के द्वारा भस्म अर्पित की जाती है. कहा जाता है की भस्म आरती में बाबा महाकाल निराकार से साकार स्वरूप में दर्शन देते हैं.