अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद पहला लोकसभा चुनाव था. पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी सहित बीजेपी के तमाम बड़े नेता राम मंदिर का जिक्र करते नजर आए थे, लेकिन सपा ने फैजाबाद (अयोध्या) सीट जीतकर राम मंदिर मुद्दे को फेल कर दिया है. अयोध्या संसदीय सीट पर मिली हार ने बीजेपी को बहुत गहरी चोट दी है. बीजेपी अब इस हार का हिसाब अयोध्या से सांसद बने अवधेश प्रसाद के विधायकी से इस्तीफा देने से खाली हुई मिल्कीपुर विधानसभा सीट से करना चाहती है, लेकिन इस सीट के उपचुनाव के ट्रेंड बीजेपी के लिए टेंशन बढ़ा रहे हैं तो सपा के हौसले बुलंद कर रहे हैं.
फैजाबाद लोकसभा सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद लगातार दो बार के बीजेपी सांसद लल्लू सिंह को शिकस्त देकर सांसद बनने में सफल रहे. अवधेश प्रसाद 54,567 वोट से जीत दर्ज की है. अवधेश प्रसाद को 5,54,289 वोट मिले तो बीजेपी के लल्लू सिंह को 4,99,722 वोट मिले थे. इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से चार सीटों पर सपा के अवधेश प्रसाद को बढ़त मिली थी जबकि लल्लू सिंह को केवल एक विधानसभा सीट पर बढ़त मिली थी.
मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी की नजर
अवधेश प्रसाद के लोकसभा सांसद बनने के बाद अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट खाली हो गई है, जहां उपचुनाव होने हैं. अवधेश प्रसाद 2022 में मिल्कीपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. अयोध्या लोकसभा सीट की हार का हिसाब बीजेपी मिल्कीपुर सीट से बराबर करना चाहती है. इसके लिए बीजेपी यह विधानसभा सीट किसी भी कीमत पर जीतना चाहती है, जिसके लिए मजबूत उम्मीदवार की तलाश भी शुरू कर दी गई है. पार्टी ऐसे उम्मीदवार को उतारने की फिराक में है, जो मिल्कीपुर सीट के सियासी समीकरण में फिट बैठता हो और जीतकर हार का हिसाब बराबर कर सके.
मिल्कीपुर विधानसभा सीट का इतिहास
आजादी से अब तक के इतिहास में मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर में यह तीसरा उपचुनाव होगा. मिल्कीपुर विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद ही अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हुई है, उससे पहले तक यह सामान्य सीट हुआ करती थी. मिल्कीपुर विधानसभा सीट 1967 में वजूद में आई, जिसके बाद कांग्रेस, जनसंघ और सीपीआई, बीजेपी, बसपा और सपा यहां जीत हासिल करने में कामयाब रहीं. इस सीट पर सबसे ज्यादा सपा-लेफ्ट 4-4 बार जीतने में सफल रही. कांग्रेस तीन बार, बीजेपी दो बार, जनसंघ और बसपा एक-एक बार जीतने में सफल रही हैं.
मिल्कीपुर में कब-कब हुए उपचुनाव
मिल्कीपुर विधानसभा सीट 1967 में बनने के बाद से लेकर अभी तक दो बार उपचुनाव हुए हैं और अब तीसरी बार चुनाव होने जा रहा है. यहां से कभी कद्दावर नेता मित्रसेन यादव विधायक हुआ करते थे,वो लेफ्ट से लेकर सपा तक के टिकट पर विधायक बने. मित्रसेन यादव वर्ष 1989 में सीपीआई से पहली बार लोकसभा पहुंचे थे और दूसरी बार 1998 में सपा से विधायक रहते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता था. इस तरह से मित्रसेन यादव के सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव हुए थे तो दूसरी बार उनके बेटे आनंद सेन के विधायकी से इस्तीफा देने के बाद साल 2004 में उपचुनाव हुए थे.
अवधेश प्रसाद दो बार बने विधायक
साल 2008 के परिसीमन के बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के दिग्गज नेता अवधेश प्रसाद यादव ने इसे अपनी कर्मभूमि बनाया. 2012 में मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद विधायक बने, लेकिन 2017 का चुनाव हार गए. 2022 में दोबारा से मिल्कीपुर सीट से अवधेश प्रसाद विधायक बने, लेकिन अब दो साल के बाद 2024 के चुनाव में फैजाबाद से सांसद चुने जाने के बाद यह सीट रिक्त हो गई है.
मिल्कीपुर में उपचुनाव का ट्रेंड
मिल्कीपुर सीट से विधायक रहते हुए लोकसभा पहुंचने वाले मित्रसेन यादव पहले और अवधेश प्रसाद दूसरे नेता हैं. मिल्कीपुर में पहली बार वर्ष 1998 में विधानसभा का उपचुनाव हुआ था, जब मित्रसेन यादव सपा से विधायक रहते हुए लोकसभा सांसद बने थे. इसके बाद उपचुनाव हुए तो सपा के रामचंद्र यादव विधायक चुने गए, उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी डॉ. बृजभूषण मणि त्रिपाठी को 4132 वोटों से हराया था.