चोरी करने वाले गैंग के अपने-अपने तरीके हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां इंदिरापुर में साईं क्रिएशन शोरूम चोरों के गैंग ने 10 अगस्त को 3 करोड़ की चोरी की थी, जिसमें ब्रांडेड घड़ियों की चोरी की गई है. पुलिस ने इस मामले में गैंग के 2 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक का नाम संतोष जयसवाल और दूसरे का रोहित पासवान है. इन्होंने शोरूम से करीब 700 घड़ियां चुरा ली थी. डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल ने बताया कि चोरों ने गाजियाबाद में चोरी करने के पहले सेक्टर-63 में रेंट पर रूम लिया हुआ था और गैंग से चार मेंबर 22 जुलाई से यहां रह रहे थे.

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, चोरी करने वाले लोग चादर गैंग से जुड़े हुए हैं. इस गैंग के लोग चोरी करने के बाद सामान को नेपाल में बेच देते हैं. कई बार डिमांड और कस्टमर की मांग के आधार पर बड़े-बड़े शोरूम से चोरी करते हैं. चोरी करने वाले इस खास गैंग की सेटिंग नेपाल से जुड़ी हुई है. नेपाल के लोगों की डिमांड पर बिहार के इस चादर गैंग को चोरी करने का ऑर्डर दिया जाता है और फिर भारत से चोरी किए गए सामान को नेपाल भेज दिया जाता है.

रात को चादर डालकर करते हैं चोरी

इस गैंग की खास बाद ये है कि अपनी चोरी में चादर का इस्तेमाल करते हैं. इनकी चोरी का समय रात का होता है. चोरी करने से पहले ये कुछ दिनों तक चोरी करने वाली जगहों पर रेकी किया करते हैं और चोरी वाली रात को चादर के जरिए दुकान या शोरूम को ढक दिया करते हैं, जिससे रास्ते से आने-जाने वाले लोग वहां का दृश्य न देख पाएं. चोरी के दौरान गैंग के कुछ लोग अंदर घुसकर वहां सा सामान निकालने में जुट जाते, उसी समय गैंग के और लोग बाहर रेकी किया करते हैं, जब उन्हें कोई आता हुआ दिखाई तो गैंग के दूसरे मेंबर्स को आगाह कर देते. इसके लिए रेकी करने वाले लोग सीटी मारते हैं.

आते लोगों को देखकर सो जाते सभी चोर

चादर गैंग के लोग चोरी करने में चादर का एक और तरीके से इस्तेमाल किया करते हैं. जब उन्हें चोरी करने वाली जगह पर कोई आता हुआ दिखाई देता तो गैंग के सभी लोग अपने साथ लाई हुई चादर को ओढ़कर सो जाया करते, जिससे वहां आने-जाने वाले लोगों को किसी तरीके का कोई शक न हो. कुछ समय बाद सभी वहां से निकलकर बस स्टैंड और टैक्सी लेकर निकला जाया करते थे. बिहार पहुंचकर नेपाल जाकर चोरी किए गए सामान की डिलीवरी करते थे.

चोरों को कई बार पहले से चोरी करने वाले सामान की डिमांड भी की जाती थी, मिले हुए ऑर्डर के आधार पर वो उस सामान की चोरी करते थे, इसके लिए उन्हें पहले से पेमेंट भी कर दी जाती थी. बिहार में 3-4 चादर गैंग हैं जो इस तरह के कामों में एक्टिव हैं. एक चादर गैंग में लगभग 8-10 लोग काम करते हैं, जिसमें सभी का काम बंटा हुआ होता है.