हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या एक विशेष दिन माना जाता है. इस दिन पितरों का श्राद्ध करने और पिंडदान देने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन किए गए पिंडदान से पितरों को मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. सोमवती अमावस्या के दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और लोगों को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.साथ ही पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इसके अलावा जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है.

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि 2 सितंबर को सुबह 5 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 3 सितंबर को सुबह 7 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी. सोमवती अमावस्या 2 सितंबर दिन सोमवार को मनाई जाएगी. यह भाद्रपद माह की पहली अमावस्या होगी. इस तिथि पर पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं.

पिंडदान का सही नियम

  • पितरों के मुक्ति के लिए पिंडदान करने से पहले स्नान करके सफेद रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनें.
  • सूर्योदय के समय पिंडदान करना शुभ माना जाता है. इसलिए सूर्य निकलने के बाद ही पिंडदान करें.
  • फिर एक साफ स्थान पर पितरों की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें और पितरों को जल अर्पित करें.
  • गाय के गोबर आटा, तिल और जौ से पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें.
  • गाय के गोबर से पिंड बनाकर पितरों के नाम का श्राद्ध कर नदी के बहते जल में प्रभाहित करें.
  • सोमवती अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए ब्राह्मणों को दान देना बहुत ही शुभ माना जाता है.
  • दान में तिल, काले तिल, जल, दही, शहद, गाय का दूध, गंगाजल, वस्त्र, अन्न, आदि शामिल करें.
  • पितृदोष निवारण के लिए पिंडदान करते समय मंत्रों का जाप करें और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें.

इन बातों का रखें खास ध्यान

अगर किसी के परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो उनके रिश्तेदार भी पिंडदान कर सकते हैं. नदी के किनारे, धार्मिक स्थल पर जाकर पिंडदान किया जा सकता है. साल में एक बार सोमवती अमावस्या पर पिंडदान करना जरूरी होता है.

अगर पितृ दोष बहुत अधिक हो तो ज्योतिषी की सलाह से एक से अधिक बार भी पिंडदान किया जा सकता है. पिंडदान करते समय शुद्ध मन से पितरों को याद करें. पिंडदान के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और पिंडदान के बाद दान जरूर करें.

पिंडदान करने से पहले किसी पंडित से सलाह लेना उचित होता है. पिंडदान के दौरान सभी नियमों का पालन करना जरूरी है, क्योंकि पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए पिंडदान एक पवित्र कर्म है. इस दिन पितरों को याद करके और उन्हें श्रद्धांजलि देकर हम उनके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही पितृ दोष से मुक्ति भी पा सकते हैं.