लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन से गदगद राहुल गांधी जब गुजरात पहुंचे तो वहां उन्होंने पार्टी नेताओं को एक किस्सा सुनाया. यह किस्सा रेस के घोड़े और शादी के घोड़े से जुड़ा था. किस्सा सुनाने के बाद राहुल ने नेताओं से पूछा कि आप रेस का घोड़ा बनना चाहेंगे या शादी का?
कार्यकर्ताओं का जवाब जो भी रहा हो, लेकिन इस वाकये के करीब 45 दिन बाद कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर के चुनावी रेस में अपने सभी बड़े नेताओं को उतार दिया है. इन नेताओं में राष्ट्रीय महासचिव से लेकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तक का नाम शामिल हैं.
1. कांग्रेस ने त्राल सीट से सुरेंद्र सिंह चन्नी को मैदान में उतारा है. चन्नी कश्मीर में कांग्रेस के संगठन महासचिव रहे हैं. अभी पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं.
2. राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर को डूरू सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. मीर पहले भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं.
3. जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी को उधमपुर की बनिहाल सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. वानी पहले भी 2 बार यहां से विधायक रहे हैं.
4. अनंतनाग सीट से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष पीरजादा मोहम्मद सईद को प्रत्याशी बनाया गया है. सईद की गिनती घाटी के कद्दावर नेताओं में होती है.
बड़े नेताओं को कांग्रेस ने क्यों उतारा?
लीडरशिप क्राइसिस दूर करने की रणनीति- गुलाम नबी आजाद के जाने के बाद जम्मू कश्मीर कांग्रेस में लीडरशिप क्राइसिस है. पार्टी में टॉप पोस्ट के लिए कई दावेदार हैं, लेकिन किसी एक के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है. क्योंकि, अब तक चुनाव नहीं हो रहे थे, इसलिए पार्टी इस मुद्दे को टाल रही थी, लेकिन अब चुनाव बाद उसे किसी न किसी चेहरे को आगे करना ही पड़ेगा.
कांग्रेस ने अब बड़े नेताओं को मैदान में उतारकर एक संदेश दे दिया है. जो नेता चुनाव जीतने में सफल होंगे, वही टॉप पोस्ट के दावेदारी में रहेंगे. बाकी अपने-आप बाहर हो जाएंगे.
बड़े नेताओं को लेकर कश्मीर का मूड वैसे भी इन दिनों ठीक नहीं है. हालिया लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती चुनाव हार चुके हैं.
ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने की कोशिश- कांग्रेस गठबंधन के तहत कश्मीर में 32 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 6 सीटों पर पार्टी फ्रेंडली फाइट के तहत चुनाव लड़ रही है. यानी जम्मू-कश्मीर की कुल 90 में से 38 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार उतारेगी.
पार्टी की कोशिश इन 38 में से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की है, जिससे सरकार बनाने वक्त उसका दावा मजबूत रहे. कांग्रेस को लगता है कि अगर उसने 25 के आसपास सीटें जीत ली तो मुख्यमंत्री पद पर भी उसकी दावेदारी बन सकती है.
2002 में पार्टी को 20 सीटों पर जीत मिली थी और 2005 में उसे पीडीपी से समझौते के तहत मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली.
राहुल-खरगे दौरा कर कश्मीर को दे चुके हैं संकेत
चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने घाटी का दौरा किया था. यहां पर दोनों नेता पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं से मिले और आगे की रणनीति तैयार की. राहुल ने इस दौरान कश्मीर के लोगों से भी बात की.
राहुल और खरगे के दौरे में ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन की घोषणा हुई. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ इस गठबंधन में पैंथर्स पार्टी और सीपीएम भी है. राहुल ने इस दौरे में ही घाटी में सरकार बनाने का दावा भी किया. कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं ने इस दौरे से यह संकेत दिया कि कश्मीर को लेकर वे गंभीर हैं.
3 चरणों में चुनाव, 4 अक्टूबर को आएंगे नतीजे
जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव आयोग 3 चरणों में चुनाव कराने जा रहा है. पहले चरण में 18 सितंबर को 24 सीटों के लिए वोटिंग होगी. 26 सितंबर को दूसरे चरण का चुनाव प्रस्तावित है. इस चरण में 26 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे.
1 अक्टूबर को 40 सीटों के लिए आखिरी चरण का चुनाव प्रस्तावित है. 4 अक्टूबर को मतों की गिनती की जाएगी. घाटी में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को कम से कम 46 सीटों पर जीतना जरूरी है.