संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) की ओर से 17 अगस्त को 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती निकाली गई थी. इसका विज्ञापन जारी होते ही देश में सियासी घमासन छिड़ गया था. विपक्ष के साथ-साथ कई NDA के नेताओं ने भी मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध किया. अब केंद्र सरकार ने इस फैसले को वापस ले लिया है.
केंद्र सरकार के इस फैसले पर यू-टर्न लेने के बाद विपक्ष सरकार पर हावी होता दिख रहा है. लेटरल एंट्री का विरोध करने वाली पार्टियां सरकार के इस फैसले के बाद विपक्ष की ताकत का गुणगान कर रहे हैं. उनका कहना है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार देश की बात सुनना शुरू करे.
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि सरकार लेटरल एंट्री के जरिए बहुजनों से उनका आरक्षण छीन न चाहती है. सीधी भर्ती के फैसले को वापस लेने बाद कांग्रेस प्रवक्ता पवन खैरा ने कहा, “विपक्ष के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने यह फैसला वापस लिया, अब वक्त आ गया है कि देश की बात सुनना शुरू कीजिए, क्योंकि देश अब मन की बात विपक्ष के माध्यम से बोलता है.”
विपक्ष के विरोध का असर
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ये साफतौर पर लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं और दूसरे लोगों के विरोध का असर है. वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता अखिलेश यादव ने इस फैसले की वापसी को PDA की एकता के सामने सरकार का झुकना बताया है.
अखिलेश ने एक्स पर लिखा, “UPSC में लेटरल एन्ट्री के पिछले दरवाज़े से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साजिश आखिरकार PDA की एकता के आगे झुक गई है. सरकार को अब अपना ये फ़ैसला भी वापस लेना पड़ा है. भाजपा के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, ये PDA में आए जागरण और चेतना की बहुत बड़ी जीत है.
“हमने सबसे पहले उठाया मुद्दा”
बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “हमने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया और हमने जानकारी दी कि लैटरल एंट्री के बहाने वे (केंद्र) आरक्षण खत्म करना चाहते हैं. हम शुरू से ही कह रहे हैं कि ये लोग आरक्षण के खिलाफ हैं और SC/ST विरोधी हैं.