सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा कांग्रेस की दिग्गज नेता हैं. पांच बार की सांसद शैलजा हरियाणा की सियासत में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं. इसीलिए सांसद रहते हुए विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने की तैयारी में हैं. इस तरह विधानसभा चुनाव लड़ती हैं और कांग्रेस की हरियाणा की सत्ता में वापसी होती हैं तो सीएम पद के लिए मजबूती दावेदारी भी कर सकती है. यही वजह है कि कुमारी शैलजा के विधानसभा चुनाव में उतरने से बीजेपी से ज्यादा चिंता भूपेंद्र हुड्डा के लिए है.

भूपेंद्र हुड्डा सबसे आगे थे

कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसी भी चेहरे को सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा जिस तरह से कांग्रेस के चुनावी अभियान को लीड कर रहे हैं, उसके चलते उन्हें प्रबल दावेदार माना जा रहा है. किरण चौधरी के बीजेपी का दामन थामने, रणदीप सुरजेवाला के केंद्रीय राजनीति और कुमारी शैलजा के सिरसा सीट से लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद भूपेंद्र हुड्डा खुद को कांग्रेस में सीएम पद की रेस में आगे मान रहे थे. ऐसे में अब शैलजा ने विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर करके हुड्डा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा-कुमारी शैलजा

भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाट समुदाय से आते हैं तो कुमारी शैलजा दलित समुदाय से हैं. हरियाणा में कांग्रेस की सियासत जाट और दलित वोटों पर टिकी हुई है. 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हुड्डा और शैलजा की जोड़ी के दम पर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. भूपेंद्र हुड्डा सीएलपी और शैलजा पीसीसी अध्यक्ष की कमान संभाल रही थीं, लेकिन अब दोनों के बीच छत्तीस के आंकड़ा है. हुड्डा और शैलजा का अपना अलग-अलग खेमा है और एक दूसरे को चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं. हुड्डा ने प्रदेश अध्यक्ष उदय भान की केमिस्ट्री बना रखी है तो शैलजा का रणदीप सुरजेवाला के साथ बेहतर तालमेल है.

शैलजा ने बढ़ाई हुड्डा की परेशानी

हरियाणा में कांग्रेस का दोनों ही खेमा पार्टी हाईकमान के करीबी माने जाते हैं. हाल ही में भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा दोनों ने ही राज्य में अलग-अलग यात्राएं निकालकर अपनी सियासी थाह समझने की कोशिश की है. भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेशाध्यक्ष सभी जिलों में जाकर धन्यवाद कार्यक्रम कर रहे हैं. सांसद दीपेंद्र हुड्डा ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ कार्यक्रम चला रहे हैं. कुमारी शैलजा कांग्रेस संदेश यात्रा चला रही हैं. देश की 40 शहरी सीटों पर पार्टी को मजबूत करना उनका लक्ष्य है. रणदीप सिंह सुरजेवाला भी अलग-अलग जिलों में परिवर्तन रैली कर रहे हैं. इतना ही नहीं इन नेताओं की गुटबाजी को खत्म करने का अल्टीमेटम शीर्ष नेतृत्व देने के बाद एकजुट हुए हैं, लेकिन अब शैलजा ने विधायकी का चुनाव लड़ने का ऐलान करके हुड्डा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है.

विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना

कुमारी शैलजा ने कहा कि मैं इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रही हूं. उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही इसके लिए तैयारी करना चाहिए थी, लेकिन सिरसा और अंबाला दोनों जगहों के कांग्रेस कार्यकर्ता चाहते थे कि मैं लोकसभा चुनाव लडूं. इसलिए मैंने सिरसा से चुनाव लड़ा. क्योंकि यह देश और हमारी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनाव था. उन्होंने आगे कहा कि अब राज्य में मेरे समर्थक और शुभचिंतक मुझसे राज्य की राजनीति में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने और विधानसभा चुनाव लड़ने का आग्रह कर रहे हैं. इसलिए मैं इस पर विचार कर रही हूं. हालांकि, शैलजा ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व का होगा.

सांसदहोकर विधानसभा चुनाव

सिरसा सांसद कुमारी शैलजा का बयान ऐसे समय आया है जब विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है. सांसद होते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर शैलजा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में लोकसभा सांसदों सहित कई ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा है. इसलिए यह कोई मुद्दा नहीं है. सीएम पद की दावेदारी पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी, खासकर जब विपक्ष में होती है तो बिना किसी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के विधानसभा चुनाव लड़ती है. कांग्रेस पहले ही कह चुकी है कि हरियाणा में भी ऐसा ही होगा. कांग्रेस के मुख्यमंत्री पर फैसला पार्टी चुनाव के बाद करेगी.

कांग्रेस को बनाना होगा संतुलन

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुमारी शैलजा के उतरने से सबसे ज्यादा चिंता का सबब भूपेंद्र हुड्डा के लिए है. हुड्डा खुद को सीएम की रेस में अपने आपको सबसे आगे समझ रहे हैं. कुमारी शैलजा विधानसभा चुनाव में उतरती हैं और विधायक बनने में सफल रहती हैं. ऐसे में अगर वो कांग्रेस हरियाणा की सत्ता में वापसी करती है तो फिर सीएम पद के लिए हुड्डा के सामने कुमारी शैलजा भी अपनी दावेदारी पेश कर सकती हैं. हरियाणा में जिस तरह के सियासी माहौल है उसके चलते कांग्रेस की वापसी की उम्मीद मानी जा रही. ऐसे में कांग्रेस के लिए शैलजा और हुड्डा के बीच सियासी संतुलन बनाए रखने की चुनौती खड़ी हो रही हैं.