देश के सेंट्रल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लगातार 9वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. रेपो रेट अभी भी 6.5 फीसदी पर हैं. रेपो रेट, जिसका फर्क सीधा आपके होम लोन के ब्याज पर पड़ता है, के स्थिर रहने से निश्चित ही पहले से चल रहे होम लोन पर भी कोई बदलाव नहीं आने वाला है, जबकि नए होम लोन लेने वालो के लिए बेहतर मौके बन सकते है.
मार्केट पोर्टफोलियो की मानें तो स्थिर रेपो रेट से ब्याज में स्थिरता आएगी जिसका लाभ बैंक अपने नए बिजनेस को शुरू कर सकता है. इससे कम ईएमआई पर होम लोन का ऑफर मिल सकता है जिससे आगामी त्योहारों के दौरान मकानों की मांग बढ़ने की उम्मीद है. यानि कुल मिलाकर नया घर खरीदने वालो के लिए एक बार फिर से बेहतर माहौल मिलेगा. ऐसे में अगर आप नया घर खरीदने का प्लान कर रहे है तो यह समय आपके लिए सबसे अनुकूल है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मार्केट एक्सपर्ट क्या कहजे हैं?
मार्केट की मैच्योरिटी
नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना के ट्रिपल झटके से प्रोमोटर्स ने बहुत कुछ सीखा है, जिसका असर अब एक मैच्योर रियल एस्टेट मार्केट के रूप में उभर कर सामने आ रहा है. मार्केट अब केवल सिमित, बढ़िया और समय से काम करने वाले प्रोमोटर के साथ चल रहा है. भेड़चाल से अलग इन प्रोमोटर्स पर घर खरीदारों और इन्वेस्टर्स ने हर बार भरोसा जताया है जिससे ये हर बदलाव और झटके को बर्दाश्त करके शॉकप्रूफ बने रहने का मंत्र जान चुके है. ऐसे में इन प्रोमोटर्स के प्रोजेक्ट में जाना ही सबसे बेहतरीन विकल्प होगा.
रेडी टू मूव यूनिट्स
वर्ष 2024 में एक घर खरीदार रियल एस्टेट मार्केट के उतार चढ़ाव से पूरी तरह से वाकिफ है और ऐसे में आज वो आँख मूंद कर रेडी टू मूव प्रॉपर्टी में निवेश कर रहा है. अच्छी बात यह है कि रेडी टू मूव यूनिट्स के सप्लाई में कोई कमी नहीं है. मार्केट के उतर-चढ़ाव से निकले प्रोजेक्ट अब रेडी टू मूव यूनिट्स से भरे पड़े है. इरोज ग्रुप के डायरेक्टर अवनीश सूद का कहना है कि ब्याज दरों में स्थिरता से विश्वास बढ़ता है, जिससे घर खरीदना अधिक आकर्षक और किफ़ायती हो जाता है.
हाउसिंग कॉस्ट की बढ़ती लागत के बावजूद, स्टेबल होम लोन संभावित बायर्स को कुछ राहत प्रदान करती हैं और पोस्ट कोविड ग्रहको ने बड़े घर लेना प्रथमिकता बना ली है. कम या स्थिर ब्याज दरें खरीदारों की खर्च करने की क्षमता बढ़ती है जिसके बड़े घर लेने में आसान हो रही है और ग्राहक निर्माणाधीन परियोजनाओं में दिलचस्पी दिखा रहे हैं जिससे डोमेस्टिक और फॉरेन न्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिलता है.
तेजी से बढ़ता इंफ्रास्ट्रक्चर
होम बायर्स और इंवेस्टर्स के लिए निवेश हमेशा से मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ा रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर की परिभाषा अब केवल रोड, मेट्रो, एयरपोर्ट और रेल की परिभाषा से आगे बढ़कर अब रियल एस्टेट हब के आस-पास निर्माण हब और पार्क से जुड़ गया है. जहां देश-विदेश से निवेश आकर्षित करके विश्व स्तर के उद्योग-धंधे स्थापित किये जा सके और हाउसिंग सोसाइटी के पास रोजगार के मौके बनाए जा सके. इस प्रकार से बसने वाले आबादी को रहने, नौकरी करने और आने-जाने की सुविधा प्रदान की जा सके.
यह एक प्रकार से 360 इको-सिस्टम बनाने जैसा है जिससे लोग नए लोकेशन पर आने से खुद को रोक न सके. क्रेडाई पश्चिमी यूपी के सचिव दिनेश गुप्ता अनुसार ब्याज दरों में स्थिरता न केवल घर खरीदारों, प्रोमोटर्स को भी प्रोत्साहित करती है. मार्केट में सप्लाई और डिमांड चेन अच्छा परिणाम दिख रहा है. ऐसे में ब्याज दरों में स्थिरता निवेश के लिए अनुकूल परिवेश और इकॉनमी के सतत विकास को और बल देता है.
घर खरीदारों के पास अच्छा मौका
निराला वर्ल्ड के सीएमडी सुरेश गर्ग ने कहा कि रेपो रेट में स्थिरता घर खरीदारों के लिए अपना आवास खरीदनें का अच्छा मौका होता है क्योंकि उनकी जेब पर बैंक लोन के ब्याज का अतिरक्त भार या बढ़ती हुई किश्ते नहीं आती. स्थिर रेपो रेट से लोन के ब्याज की दर भी स्थिर रहती है जिससे डेवलपर्स और घर खरीदारों दोनों बाजार में बढ़े हुए विश्वास और पूर्वानुमान का लाभ उठा सकते है. ये घर खरीदने का सही समय है क्योंकि यदि आने वाले समय में महंगाई में कमी होती है तो रेपो रेट और नीचे जाएगा जिससे प्रॉपर्टी की कीमतों में उछाल की उम्मीद है.
रियल एस्टेट सेक्टर को बेनिफिट
आरजी ग्रुप के निदेशक हिमांशु गर्ग के अनुसार हमारा मानना है कि स्थिर ब्याज दरों से रियल एस्टेट सेक्टर को आवश्यक लाभ होता है. ब्याज दरें स्थिर रहने पर घर खरीदार भविष्य में दरों में बढ़ोतरी की चिंता किए बिना अपनी खरीदारी की योजना बना सकते हैं. इसका प्रभाव निर्माण लागत पर भी पड़ता है जिसका स्थिर रहना सेक्टर के विकास के लिए बोनस की तरह कार्य करता है. ब्याज दरों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी से रियल एस्टेट से जुड़ें लेनदेन में हाल ही में हुई बढ़ोतरी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
बड़े साइज के घरो की मांग और सप्लाई
प्रोमोटर अब पहले की तरह छोटे या 1-2 बीएचके फ्लैट बनाने की अपेक्षा 3 और 4 बीएचके फ्लैट बनाने पर जोर दे रहे है. इसका कारण लागत और समय से जितना जुड़ा है उससे कही ज्यादा घर खरीदारों की बढ़ती मांग से जुड़ा है. फ़्लैट आपको सिमित साइज में जीवन व्यतीत करने का अवसर देता है. ऐसे में छोटे साइज का फ़्लैट भविष्य के लिए एक चुनौती बन सकता है.
इसलिए लोग अब शुरू से ही बड़े साइज के फ़्लैट लेने में रूचि दिखा रहे है. इसमें वो घर खरीदार भी शामिल है जो पहले छोटे साइज के फ़्लैट में रहते थे और अब बढ़ती फैमिली साइज और जरुरत के कारण बड़े साइज के फ़्लैट पर शिफ्ट कर रहे है. इस कारण प्रोमोटर भी नए प्रोजेक्ट या टावर में 3 और 4 बीएचके फ्लैट बना रहे है जिससे मार्केट की डिमांड को पूरा किय जा सके. स्थाई ब्याज दर ने उपभोक्ताओं को नया भरोसा दिया है जिससे बड़े घरो की मांग बढ़ी है.