उत्तराखंड में बारिश ने अपना ऐसा रौद्ररूप दिखाया कि हर तरफ तबाही मचा दी. बारिश और भूस्खलन से कई लोगों की मौत हो गई वहीं कई घर तबीह हो गए. इस बीच केदारनाथ धाम की यात्रा भी रोक दी गई है. कई श्रद्धालुओं को रेस्क्यू कर बचाया गया है. इस बीच यात्रा को दोबारा संचालित करने के लिए सोनप्रयाग में बाधित सड़क मार्ग को खोलने के लिए कार्य शुरू हो गया है.

केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग में क्षतिग्रस्त हुए मार्ग को खोलने के लिए तत्परता से कार्य किया जा रहा है. कठिन परिस्थितियों में मजदूरों द्वारा सड़कों को ठीक किया जा रहा है. केदारनाथ धाम से छोटी लिनचोली तक क्षतिग्रस्त पैदल यात्रा मार्ग को आवाजाही के लिए चालू कर दिया गया है.

पैदल यात्रा मार्ग को दुरुस्त करने के निर्देश

दरसअल 6 अगस्त को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारघाटी में 31 जुलाई को आपदा के कारण हुए नुकसान और राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लिया. जिसके बाद उन्होंने अधिकारियों को जल्द से जल्द जनजीवन सामान्य बनाने के निर्देश दिए थे. इसके साथ ही क्षतिग्रस्त राष्ट्रीय राजमार्ग और अवरुद्ध हुए पैदल यात्रा मार्ग को दुरुस्त करने के भी निर्देश दिए थे.

वहीं अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग निर्भय सिंह ने बताया कि सीएम और जिलाधिकारी द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में सोनप्रयाग एवं गौरीकुंड के बीच जो डेढ मीटर राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. पोकलैंड मशीन के जरिए से राष्ट्रीय राजमार्ग खोलने का काम शुरू हो गया है. इसके साथ ही सोनप्रयाग पुल के पास जो क्षतिग्रस्त हुई सड़क के निर्माण का कार्य भी शुरू कर दिया गया है.इसके साथ ही अधिशासी अभियंता डीडीएमए विनय झिंक्वाण ने जानकारी देते हुए बताया कि केदारनाथ पैदल मार्ग कई जगहों से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है. ऐसे करीब 15 स्थान हैं जहां पैदल सड़क क्षतिग्रस्त हैं. उन्होंने कहा कि पैदल यात्रा मार्ग को ठीक करने के लिए निर्माण कार्य जारी है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि मजदूर काफी विषम परिस्थिती में काम कर रहे हैं.

सड़कों पर पड़े पत्थर

दरअसल बारिश की वजह से हुए भूस्खलन से सड़कें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं. रात्ते में बड़े-बड़े पत्थर पड़े हैं जिसे हटाना काफी मुश्किल है. जिस पर चला नहीं जा सकता है. जेसीबी की जरिए पत्थरों को हटाया जा रहा है. वहीं बारिश के चलते निर्माण कार्य में काफी परेशानी आ रही है.