महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी कई तरह की मुश्किलों का सामना एक साथ कर रही है, है. राज्य की 48 लोकसभा सीटों पर हुए हालिया चुनाव में पार्टी को मुंह की खानी पड़ी. सर पर विधानसभा चुनाव है. ऐसे में पार्टी मंथन कहां तो चुनावी हार की समीक्षा पर फोकस कर रही थी. दिल्ली से पार्टी का नेतृत्त्व धर्मेन्द्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव को महाराष्ट्र का चुनाव प्रभारी बना नई-नई जिम्मेदारियां दे रहा था.
पर मुंबई में पार्टी और सरकार की कमान संभाल रहे देवेन्द्र फडणवीस का हाल तक इस्तीफा देने पर अड़े रहना पार्टी की छवि के लिए कहीं से भी ठीक नहीं रहा. एकनाथ शिंदे की अगुवाई, अजित पवार की एनसीपी के समर्थन और बीजेपी के संयोजन में चल रही सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाले दिनों में आरक्षण पर मची रार शांत करने की होगी. क्योंकि अब तलक मराठा और ओबीसी आरक्षण पर घिरी बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी सरकार के लिए मुस्लिम आरक्षण का सवाल परेशान कर सकता है.
कहां से उठी मुस्लिम आरक्षण की मांग?
मराठा आरक्षण के लिए लंबे अरसे से प्रदर्शन, अनशन करने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने रविवार को मांग रखी कि मुसलमानों को भी ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण दिया जाना चाहिए. अपनी मांगों के समर्थन में पाटिल ने कहा कि बहुत से ऐसे मुसलमान हैं जिनका जिक्र कुनबी समुदाय के दस्तावेजों में है. ऐसे में, इन मुसलमान किसानों को ओबीसी आरक्षण ही के दायरे में मानते हुए उनका वाजिब हक देना चाहिए.
ये पहली बार है जब मराठा आरक्षण को लेकर मुखर आंदोलनकारी और इस समुदाय की जानी-मानी आवाज मनोज जरांगे पाटिल ने मुस्लिस आरक्षण पर एक बयान दिया है. उनका यह बयान ओबीसी समुदाय के लिए परेशानी का सबब माना जा रहा है. मनोज जरांगे पाटिल अब भी मराठा समुदाय को कुनबी मानते हुए पूरा आरक्षण देने की मांग पर अडिग हैं. वो इसमें किसी तरह का अगर-मगर नहीं चाहते.
दरअसल, मराठा समुदाय के लोग जिस आरक्षण की मांग कर रहे हैं, वह ओबीसी समुदाय का हिस्सा है. ओबीसी समुदाय के लोग पहले से ही इसके खिलाफ डटे हुए हैं. उन्हें ये डर है कि मराठाओं को आरक्षण की व्यवस्था कहीं उन्हें मिलने वाले आरक्षण को कम न कर दे. इससे पहले की वो इस पर एकजुट हों आवाज उठाएं, पाटिल ने ओबीसी में ही मुसलमानों को आरक्षण की बात कह आरक्षण की इस लड़ाई को और तल्ख बना दिया है.
OBC समुदाय, मुस्लिम आरक्षण और कुछ सवाल
पाटिल खुले तौर पर कहने लगे हैं कि मुसलमानों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. वह आने वाले दिनों में मुसलमानों को उनके अधिकार बताएंगे. जाहिर तौर पर इससे ओबीसी जातियां नाराज हो सकती हैं.
इधर महाराष्ट्र में जरांगे पाटिल ही के सामने एक दूसरी आवाज मुखर हुई जा रही है. ओबीसी कोटा के मौजूदा स्वरुप को बरकार रखने की बात कहने वाले एक नए एक्टिविस्ट की महाराष्ट्र में चर्चा है. इनका नाम लक्ष्मण हाके है.
लक्ष्मण ने मुसलमान आरक्षण पर मनोज जारांगे पाटिल की दलील का जवाब दिया है. हाके ने कहा है कि हिदू धर्म सामाजिक खांचे में बंटा हुआ है लेकिन मुस्लिम समुदाय को लोग एक जाति नहीं बल्कि धर्म के तौर पर देखते हैं. लक्ष्मण हाके ने दावा किया है कि मुस्लिम समुदाय की कुछ जातियों को पहले ही से ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिल रहा है.
BJP के लिए बनेगी गले की फांस?
भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने भी मनोज जारांगे पाटिल की मांग का विरोध किया है. नीतेश राना ने कहा है कि हमारा संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की बात नहीं करता और हो सकता है कि मनोज जारांगे पाटिल को ये बात न मालूम हो.
मुस्लिम आरक्षण पर भारतीय जनता पार्टी की राय लोकसभा चुनावों में भी सामने आई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब मुक्त कंठ से धर्म के आधार पर आरक्षण, खासकर मुसलमानों को कुछ एक राज्यों में मिल रहे आरक्षण की आलोचना की थी.
मगर महाराष्ट्र में समस्या यह है कि उसे यहां एनसीपी के साथ चुनाव लड़ना है. और 2014 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अविभाजित एनसीपी-कांग्रेस ने मुसलमानों को 5 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दे दी थी. यानी अजित पवार की राय इस पर देखनी काफी दिलचस्प होगी.
हालांकि, बाद में देवेन्द्र फडणवीस की सरकार ने आरक्षण वाले को फैसले को पलट दिया था. लेकिन इस बार जिस तरह से एक रणनीतिक बयान पाटिल ने दिया है, भाजपा के लिए इससे पार पाना आसान नहीं होगा.