बड़वानी। जंगलविहीन हो चुकी सतपुड़ा की वादियों में इस बार विलुप्त हो रही वनस्पति प्रजातियों को सहेजने की कवायद की जा रही है। इसके लिए पर्यावरणविदों के साथ वन विभाग भी पहल कर रहा है।
यहां खत्म होते जंगल में मंगल की तैयारी की जा रही है। सतपुड़ा की ऊंची पहाड़ी पर स्थित वनग्राम आमल्यापानी में करीब 20 हेक्टेयर क्षेत्र में विलुप्त हो रही प्रजातियों को लगाकर बंजर पहाड़ी पर औषधीय वाटिका तैयार की जाएगी।
प्री मानसून के दौरान इसे तैयार किया जाएगा, ताकि बारिश के दिनों में पर्यटक यहां पहुंचकर इसका आनंद ले सकें। यहां पर बड़े झरने के आसपास वाटिका के साथ नया पर्यटन स्थल तैयार किया जाएगा।
पहाड़ी पर विलुप्त प्रजातियों से नया जंगल तैयार किया जाएगा। वन विभाग द्वारा नगर वन योजना के तहत आमल्यापानी में पर्यटन स्थल विकसित किया जा रहा है।
वन मंडलाधिकारी आईएस गाडरिया के अनुसार करीब 20 हेक्टेयर भूमि पर विकसित होने वाले पर्यटन स्थल पर झूले, बर्ड हाउस, बांस की झोपड़िया, कुर्सी अन्य सुविधाएं रहेंगी ताकि पर्यटक प्रकृति के बीच अपने परिवार के साथ समय बिता सकें।
इसके साथ ही विलुप्त हो रही प्रजाति की जानकारी हासिल कर पूरे परिवार को रूबरू करा सकें। पर्यटन स्थल पर विलुप्त प्रजातियों को संरक्षित किया जाएगा।
इन प्रजातियों को यहां पर सहेजेंगे
वन विभाग द्वारा विलुप्त हो रही प्रजातियों में सलई, रोसा, मोयन, कुल्लू, कुसुम सहित अन्य प्रजातियों के पौधे यहां पर लगाए जाएंगे।
नगर वन योजना में इसे शामिल करते हुए इस पर काम शुरूकिया है। पहाड़ी पर पाैधारोपण के लिए गड्ढे तैयार किए गए हैं। इसके पहले चरण का काम पूरा कर बाकी काम अगस्त माह में पूरा किया जाएगा।
ये सुविधाएं रहेंगी
बर्ड हाउस में पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास रहेगा। वन्य प्राणियों व जैव विवधिता की जानकारी देने के लिए बोर्ड लगाए जाएंगे।
बच्चों के लिए झूले और बड़ों के बैठने के लिए कुर्सी व झोपड़ियां तैयार की जाएगी ताकि इसमें बैठकर पर्यटक परिवार सहित पिकपिक मना सके। झरने व पर्यटन स्थल पर तार फेंसिंग की जा रही है।
समिति के माध्यम से होगा संचालन
डीएफओ गाडरिया के अनुसार इस पर्यटन स्थल का संचालन समिति के माध्यम से होगा। परिवार सहित आने वाले पर्यटकों के लिए कैंटिन, सुविधाघर भी रहेगा।
पर्यावरणविदों का भी लेंगे सहयोग
वन अधिकारियों के अनुसार विलुप्त हो रही प्रजातियों को सहेजने एवं बर्ड हाउस को लेकर क्षेत्र के पर्यावरणविदों का भी सहयोग लिया जाएगा।
पर्यावरणविद डाॅ वीणा सत्य, डाॅ कविता भदौरिया एवं केजार अली बोहरा के अनुसार वन विभाग यह नवाचार कर रहा है तो वे मार्गदर्शन व सहयोग देकर इसे और बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे।