आम तौर पर कश्मीर का नाम सुनते ही आपके दिमाग में पहली तस्वीर क्या बनती है. ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़, डल झील, खूबसूरत शिकारा और सर्द मौसम, लेकिन शायद आप यकीन नहीं करेंगे कि जुलाई में श्रीनगर को इन खूबसूरत वादियों को लू लग गई है. श्रीनगर का हाल ये है कि इस वक्त ये शहर जयपुर, लखनऊ और मुंबई से भी ज्यादा गर्म है. यानी जिस वक्त भारत का बड़ा हिस्सा बारिश और बाढ़ से प्रभावित है. उस वक्त कश्मीर के बहुत सारे हिल स्टेशन जुलाई की गर्मी में हॉट स्टेशन बन गए हैं. हालत ये है कि अब लोग श्रीनगर में बारिश के लिए दुआएं मांग रहे हैं. कभी इस मौसम में पानी से लबालब रहने वाली झेलम नहीं का हाल कुछ ऐसा है कि वो गर्मी में पानी मांग रही है.
जुलाई में जन्नत गर्मी से किस तरह जल रही है. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि श्रीनगर में गर्मी ने 132 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. हालत ये है कि आज और कल सभी स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी करना पड़ा है और इस गर्मी ने लेह में फ्लाइट्स तक रोक दी हैं. एक दिन पहले श्रीनगर में सीजन की सबसे गर्म रात दर्ज की गई. यहां तापमान 24.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. गर्मी का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि यहां तापमान सामान्य से 5.8 डिग्री सेल्सियस अधिक था. पिछले 132 सालों में यह तीसरा मौका था इस मौसम में सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया.
श्रीनगर में रविवार को तापमान कितना था?
श्रीनगर में रविवार को तापमान 36.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है जबकि कल जयपुर का टेम्प्रेचर 33.47 डिग्री था. मुंबई में पारा कल 27 डिग्री के करीब रिकॉर्ड किया गया. इसके अलावा अहमदाबाद में तापमान 31.35 डिग्री था जबकि लखनऊ और वाराणसी जैसे शहरों में कल मौसम का मीटर 25 डिग्री सेल्सियस के पास घूम रहा था. रविवार को अमृतसर में भी टेम्परेचर 35.8 डिग्री रिकॉर्ड हुआ और इन बड़े शहरों में दिल्ली ही एक ऐसा शहर था..जहां पारा श्रीनगर से थोड़ा ही ज्यादा था.
यानी जिस श्रीनगर को डल झील, बर्फीले पहाड़ों के लिए जाना जाता है वो इस वक्त गर्मी से तप रहा है. पिछले वर्ष इसी जुलाई के महीने में झेलम नदी पानी से लबालब भरी हुई थीं, लेकिन गर्मी की वजह से इस साल जुलाई में ये झेलम नदी कई हिस्सों में सूख चुकी है. आम तौर पर इसमें जो बोट और शिकार चलते नजर आते थे. वो भी अब बंद करने पड़े हैं.
गर्मी की वजह से कई उड़ानें रद्द
यानी श्रीनगर इस वक्त एक ऐसे गर्मी वाले संकट का सामना कर रहा है जिसकी कल्पना भी शायद यहां के लोगों ने नहीं की थी. श्रीनगर के ऐसे हालात उन लोगों का दुख भी बढ़ा रहे हैं तो गर्मी से बचने के लिए यहां जाने की कोई योजना बना रहे हैं. आपने कई बार ये सुना होगा तेज बारिश या आंधी तूफान की वजह से फ्लाइट्स को रद्द करना पड़ा, लेकिन क्या कभी आपने ये सुना है कि गर्मी की वजह से उड़ानों को रद्द कर दिया गया हो. ऐसी हैरान करने वाली घटना जम्मू-कश्मीर से सटे लेह में हुई है.
- लेह में इस वक्त इतनी ज्यादा गर्मी है कि वहां फ्लाइट्स के संचालन को रोकना पड़ गया.
- रविवार को लेह एयरपोर्ट पर गर्मी की वजह से 4 फ्लाइट्स को रद्द करना पड़ा था.
- जबकि इससे पहले शनिवार को भी दिल्ली से गई एक फ्लाइट लेह एयरपोर्ट पर लैंड नहीं कर सकी
- लद्दाख में एयरपोर्ट 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है. इसीलिए हवा में नमी नहीं है.
- यहां हवाएं बहुत हल्की होती है और ऑक्सीजन का स्तर भी कम रहता है.
- बढ़ती गर्मी ने हालात और भी ज्यादा खराब कर दिए हैं क्योंकि सूखे मौसम में विमान को उड़ाने में बहुत दिक्कत आती है
वैसे आप सोच रहें होंगे कि दिल्ली में तो पारा 48 डिग्री तक जाता है लेकिन वहां फ्लाइट्स बंद क्यों नहीं होती हैं. तो इसका जवाब है कि दिल्ली में उमस के कारण हवा भारी होती है. इसलिए फ्लाइट्स को उड़ान भरने में कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन लेह-लद्दाख में स्थिति दिल्ली के एकदम विपरीत है.
25 सालों बाद भीषण गर्मी झेल रहा श्रीनगर
साल 2019 में डायलॉग अर्थ की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि कश्मीर में औसत तापमान साल 1980 से 2016 के बीच 0.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट की रिपोर्ट के अनुसार भी भले ही ग्लोबल वार्मिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित हो, लेकिन हिंदू कुश हिमालय में वार्मिंग कम से कम 0.3 डिग्री अधिक होने की संभावना है.
सदी के अंत तक 4-7 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है तापमान
कश्मीर में सालाना तापमान सदी के अंत तक 4-7 डिग्री सेल्सियस के बीच तक बढ़ सकता है. अब ये सारे दावे सच साबित हो रहे हैं. वजहों में वैसे तो श्रीनगर और दूसरे पर्वतीय इलाकों में हो रहा तेज निर्माण शामिल हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन इसका मुख्य कारण हैं. हाल ही में इसका असर अमरनाथ यात्रा के वक्त भी दिखा था जब बाबा बर्फानी समय से पहले ही पिघल गए थे.
राहत की भी खबर आई
वैसे श्रीनगर में गर्मी वाले संकट के बीच एक राहत वाली खबर भी आई है. वो ये कि गंगोत्री ग्लेशियर का आकार एक साल में 18 प्रतिशत बढ़ गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार ये ग्लेशियर की सेहत में सुधार के संकेत हैं क्योंकि इससे गंगा में पर्याप्त पानी रहेगा और गंगा बेसिन में रहने वाले करोड़ों लोगों को पानी की कमी नहीं होगी.