बजट अभिभाषण के बीच लोकसभा में उपाध्यक्ष के चयन पर चर्चा शुरू हो गई है. सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने सरकार से यह पद विपक्ष को देने की मांग की है. इसके लिए पार्टी पुरानी परंपरा का उदाहरण दे रही है, लेकिन वर्तमान में जो 3 पॉलिटिकल सिनेरियो देख रहे हैं, उससे यह पद कांग्रेस को मिले, इसकी संभावनाएं कम ही है.
वहीं डिप्टी स्पीकर को लेकर सरकार की तरफ से चुप्पी साध ली गई है. कहा जा रहा है कि सत्र के आखिर में सरकार उपाध्यक्ष पद को लेकर पत्ते खोल सकती है.
1. कांग्रेस शासित राज्यों में बीजेपी को नहीं मिला पद
कांग्रेस अभी कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल की सत्ता में काबिज है. तीनों ही राज्यों में कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर की कुर्सी बीजेपी या किसी भी मुख्य विपक्षी पार्टी को नहीं दी है. तेलंगाना में स्पीकर का पद कांग्रेस के पास है, जबकि डिप्टी स्पीकर का पद वहां रिक्त है.
इसी तरह कर्नाटक में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों पद पर कांग्रेस के ही विधायक काबिज हैं. यूटी खादर कर्नाटक के स्पीकर हैं, जबकि आरएम लमानी डिप्टी स्पीकर हैं. यही हाल हिमाचल प्रदेश विधानसभा का है. हिमाचल में कांग्रेस विधायक कुलदीप पठानिया विधानसभा के स्पीकर हैं तो विनय कुमार के पास डिप्टी स्पीकर का पद है.
कांग्रेस झारखंड की सरकार में सहयोगी है और यहां पिछले 5 साल से डिप्टी स्पीकर का पद खाली है. यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास स्पीकर का पद है. झारखंड में बीजेपी मुख्य विपक्षी पार्टी है.
2. मोदी सरकार के 2 कार्यकाल में यह पद नहीं मिला
2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार सरकार बनी. उस वक्त डिप्टी स्पीकर का पद एआईएडीएमके के एम थंबीदुरई को दिया गया. एआईएडीएमके उस वक्त एनडीए की सहयोगी पार्टी थी. शुरू में कांग्रेस ने इसका विरोध किया, लेकिन संख्या न होने की वजह से पार्टी चुप हो गई.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पद किसी को भी नहीं दिया गया. पहले इस पद को बीजेडी को देने की चर्चा थी, लेकिन बीजेडी ने इसे लेने से इनकार कर दिया था. तीसरे स्पीकर चुनाव के वक्त कांग्रेस ने इसके लिए ठोस आश्वासन देने की मांग की थी, लेकिन बीजेपी समय आने पर सोचा जाएगा, कहकर मामले को टाल दिया था.
3. इंडिया के घटक दलों की भी चाहत कुछ और
सर्वदलीय बैठक में डिप्टी स्पीकर को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने बड़ी मांग कर दी. टीएमसी ने कहा कि यह पद कांग्रेस के बजाय समाजवादी पार्टी को देना चाहिए. तृणमूल कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर पद के लिए अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद का नाम सुझाया है.
तृणमूल कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी चाहती है कि डिप्टी स्पीकर का पद सपा को दिया जाए. आप ने भी अवधेश प्रसाद के नाम की सिफारिश की है. अवधेश प्रसाद दलित समुदाय से आते हैं और पार्टियां उनके नाम की सिफारिश कर बड़ा राजनीतिक दांव खेलना चाहती है.
डिप्टी स्पीकर का पद और उसका अधिकार
संविधान के अनुच्छेद-93 में लोकसभा उपाध्यक्ष पद के बारे में बताया गया है. उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने की जिम्मेदारी लोकसभा अध्यक्ष की होती है. हालांकि, संसदीय कार्य मंत्रालय की संस्तुति इसके लिए जरूरी माना जाता है. उपाध्यक्ष का 2 मुख्य अधिकार है :-
स्पीकर के न होने पर संसद का संचालन करता है. उस वक्त अगर वोटिंग के दौरान एक वोट से कोई मामला फंसता है तो निर्णायक वोटिंग का भी अधिकार उपाध्यक्ष को है.
लोकसभा में संसदीय समिति के गठन में अगर उपाध्यक्ष का नाम शामिल किया जाता है तो उस समिति में उपाध्यक्ष ही चेयरमैन होते हैं.
लोकसभा में 2 ऐसे भी मौके आए, जब स्पीकर के बदले डिप्टी स्पीकर की वजह से सदन की कार्यवाही आसानी से संचलित हो पाई. पहला मौका साल 1956 में आया, उस वक्त तत्कालीन अध्यक्ष जीवी मावलंकर के निधन के बाद सत्र का संचालन उपाध्यक्ष एमए आयंगर ने किया.
2022 में दूसरा मौका तब आया जब अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी का निधन हो गया. अटल बिहारी की सरकार ने उस वक्त संसद में आतंकवाद निरोधी विधेयक पेश किया गया था. डिप्टी स्पीकर पीएम सईद ने सदन का संचालन किया. बिल पास होने के पास सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.