जबलपुर। मैट्रिमोनियल साइट के जरिए एक युवती ने शहर के युवक के सामने शादी का प्रस्ताव रखा और फिर उसे एक बैग भेजने का झांसा दिया। युवक झांसे में आया, तो एयरपोर्ट पर कस्टम द्वारा बैग पकड़ने और उसमें सोना और विदेशी मुद्रा होने की जानकारी दी और फिर कस्टम के नाम पर उससे ढाई लाख रुपये वसूल लिए। मामले में पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया है। कैंट पुलिस द्वारा इसकी जांच की जाएगी।

मोदीबाड़ा कटंगा निवासी जगन्नाथ नंदा (38) ने संगम मैट्रिमोनियल साइट पर विवाह के लिए आईडी बनाई। 16 मई को उसे एक फोन आया। बात करने वाली युवती ने अपना नाम लीजा रोज बताया। यह कहा कि वह यूनाइटेड किंग्डम में रहती है। दोनों के बीच बातचीत होने लगी। विवाह की बात पर भी सहमति बनी।

भारत आने के लिए भी तैयार हुई

वह विवाह के लिए भारत आने के लिए भी तैयार हो गई, लेकिन इसी बीच युवती ने उसे बताया कि उसे काम से आयरलैंड जाना पड़ रहा है। इसके चलते वह उसे अपना एक बैग भेज रही है, जो भारत आने पर वह वापस ले लेगी। जगन्नाथ ने अपना पता दे दिया, लेकिन जगन्नाथ ने 31 मई को युवती को मैसेज किया और शादी से इंकार कर दिया।

कोरियर वापस करने के एवज में मांगे रुपए

इसी दिन उसके पास एक फोन आया। बात करने वाले ने बताया कि वह इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट दिल्ली से बोल रहा है। उसका कोरियर आया है। जगन्नाथ ने कोरियर लेने से इंकार किया, तो कोरियर वापस करने के एवज में उससे 15 हजार रुपए मांगे गए। उसने 15 हजार रुपए दे दिए।

बैग में दस्‍तावेज नहीं होने की कही बात

एक जून को उसके पास फोन आया। बात करने वाले ने खुद को दिल्ली का कस्टम ऑफिसर बताया और जानकारी दी कि लीजा के बैग में दो लाख 50 हजार पाउंड और सोना है, लेकिन उसके दस्तावेज नहीं है, जिसके नाम से उसे भेजा गया है यदि उसने उसे छुड़ाया नहीं गया, तो सरकार उसे जब्त कर लेगी।

ढाई लाख रुपये मांगे

जगन्नाथ ने लीजा से बात की, तो उसने कहा कि बैग छुड़वा लो। जगन्नाथ को लगा कि लीजा उसे किसी मामले में फंसा न दें, इसलिए उसने उक्त नम्बर पर फोन किया, तो उससे बैग छुड़वाने के लिए ढाई लाख रुपये आयकर के रूप में मांगे गये। लीजा ने भी कहा कि वह भारत आने पर उसे 2400 पाउंड दे देगी।

फि‍र मांगे और रुपये

तब जगन्नाथ ने दो जून को एक लाख और तीन जून को एक लाख 45 हजार रुपए उक्त व्यक्ति द्वारा दिए गए एकाउंट नम्बर में डाल दिए। बैग भेजने को कहा, तो उससे साढ़े 13 लाख रुपए और मांगे गए। तब जगन्नाथ को संदेह हुआ। उसने जानकारी जुटाई, तो पता चला कि ऐसा कोई बैग दिल्ली में नहीं है।