बिना किसी मुख्यमंत्री चेहरे के भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल बाद दिल्ली को फतह कर लिया है. दिल्ली की सत्ता में बीजेपी की वापसी को जहां ब्रांड मोदी इफैक्ट माना जा रहा है. वहीं 5 ऐसे भी नेता हैं, जिन्होंने पर्दे के पीछे से पार्टी की जीत की स्क्रिप्ट लिखी है. ये नेता बिना किसी शोरगुल के पिछले 4 महीने से दिल्ली के मैदान में डटे हुए थे.

इन नेताओं ने जहां पर्दे के पीछे से आम आदमी पार्टी के नैरेटिव को खत्म किया. वहीं खुद की नैरेटिव सेट करने के लिए डोर टू डोर कैंपेन पर फोकस किया. पार्टी की टूट को बचाने के साथ-साथ आप में सेंध भी लगाने की रणनीति इन्हीं नेताओं की थी. अब बीजेपी की जीत के बाद इन नेताओं की सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है.

जीत की स्क्रिप्ट लिखने वाले कौन हैं वो 5 नेता?

बैजयंत पांडा- अक्टूबर 2024 में बैजयंत पांडा को दिल्ली चुनाव का प्रभारी बनाया गया था. पांडा इसके बाद पर्दे के पीछे से जीत की स्क्रिप्ट लिख रहे थे. टिकट बंटवारे के बाद पार्टी में मची भगदड़ को जहां पांडा रोकने में कामयाब रहे, वहीं आप के विधायकों को भी ऐन वक्त पर तोड़ लिया.

पांडा पिछले चुनाव में भी दिल्ली के प्रभारी थे, लेकिन इसके बाद उनकी यहां से ड्यूटी हटाकर यूपी में लगा दी गई थी. पांडा के एक वक्त में ओडिशा के नवीन पटनायक के करीबी माने जाते थे. वे पटनायक के उत्तराधिकारी भी थे, लेकिन बाद में अलग-थलग कर दिए गए.

पांडा को बीजेपी शीर्ष नेतृत्व का करीबी माना जाता है. पांडा ने अपने पुराने अनुभवों के बूते बूथ मैनेजमेंट का काम जहां सफल किया, वहीं उन सीटों पर विशेष फोकस किया, जहां बीजेपी जीत चुकी थी.

अनुराग ठाकुर- पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी पर्दे के पीछे से बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई. मुस्लिम प्रभाव वाले सीटों पर अनुराग की ड्यूटी लगाई गई थी. अनुराग के जिम्मे करावल नगर, मुस्तफाबाद, आदर्श नगर आदि सीटों का रणनीति तैयार करना था.

अनुराग ठाकुर डोर टू डोर के जरिए भी हिंदू वोटरों को साध रहे थे. यही वजह है कि मुस्लिम बहुल होने के बावजूद मुस्तफाबाद सीट पर बीजेपी को जीत मिल गई. अनुराग ठाकुर बीजेपी हाईकमान के करीबी माने जाते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री हिमाचल से आते हैं और हमीरपुर सीट से सांसद हैं.

अपने भाषणों के लिए चर्चा में रहने वाले अनुराग पूरे चुनाव में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ लगातार हमलावर रहे.

रामवीर बिधूड़ी- दक्षिणी दिल्ली के सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी के जिम्मे बीजेपी का मेनिफेस्टो तैयार करना था. बिधूड़ी की टीम ने इस मेनिफेस्टो को बनाने के लिए आम नागरिकों की सलाह ली. इसका नतीजा यह हुआ कि आम आदमी पार्टी की मुफ्त रेवड़ी की गूंज दिल्ली में खत्म हो गई.

बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में महिलाओं को 2500 रुपए प्रतिमाह देने का वादा किया है. इसके अलावा पार्टी ने झुग्गी-झोपड़ी को नियमित करने समेत कई बड़े वादे किए हैं.

बिधूड़ी दिल्ली की ही राजनीति करते रहे हैं. बदरपुर सीट से विधायक रह चुके हैं. 2020 में बीजेपी ने बिधूड़ी को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया था.

मनोज तिवारी- नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने भी बीजेपी की जीत में बड़ी भूमिका निभाई है. मनोज तिवारी ने जहां पार्टी के लिए कैंपेन सॉन्ग तैयार किया. वहीं बड़े मामलों में तुरंत डैमेज कंट्रोल को भी आगे आए. मनोज तिवारी दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं.

मनोज तिवारी जिस लोकसभा से आते हैं, वहां भी बीजेपी का स्कोर बढ़ा है. बीजेपी ने इस बार तिवारी के नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली की 5 सीटों पर जीत हासिल की है. पिछली बार इस लोकसभा की सिर्फ 2 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.

मनोज तिवारी पहली बार 2014 में सांसद चुने गए थे. तिवारी ने राजनीतिक करियर की शुरुआत समाजवादी पार्टी से की थी. वे गोरखपुर से भी चुनाव लड़ चुके हैं.

अतुल गर्ग- गाजियाबाद से बीजेपी के सांसद अतुल गर्ग दिल्ली चुनाव में सह प्रभारी थे. गर्ग भी बीजेपी की जीत को लेकर पर्दे के पीछे से स्क्रिप्ट लिख रहे थे. बूथ मैनेजमेंट के लिए जहां गर्ग लगातार छोटी-छोटी बैठकें कर रहे थे. वहीं बीजेपी के नैरेटिव को जमीन पर लाने के लिए पीएम मोदी का पत्र घर-घर पहुंचवाने में जुटे थे.

गर्ग गाजियाबाद की राजनीति करते हैं, जो दिल्ली एनसीआर का हिस्सा है. गर्ग सांसद बनने से पहले यहां से विधायक भी रह चुके हैं.