उत्तर प्रदेश के आगरा में शुक्रवार को दर्दनाक पैराशूट हादसे में जूनियर वारंट अधिकारी ने अपनी जान गंवा दी. उन्होंने सात हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई. लेकिन पैराशूट नहीं खुला, इस कारण वो गिर गए और मौके पर ही उनकी मौत हो गई. मृतक अधिकारी का नाम जीएस मंजूनाथ था. वो मूल रूप से कर्नाटक में शिमोगा जिला स्थित संलूरू के रहने वाले थे. लेकिन कई सालों से आगरा में तैनात थे. मंजूनाथ यहां एयरफोर्स स्टेशन के पैराट्रूपर्स प्रशिक्षण स्कूल (पीटीएस) में प्रशिक्षक थे.

अफसर को ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की मदद से दो घंटे बाद खोजा गया. उनके नाक से खून निकल रहा था. भारतीय वायुसेना ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं. जानकारी के मुताबिक, हर दिन एयरफोर्स स्टेशन में सुबह साढ़े आठ बजे से दोपहर 12 बजे और शाम छह से रात आठ बजे तक प्रशिक्षण होता है. शुक्रवार सुबह साढ़े आठ बजे प्रशिक्षण शुरू हुआ. सुबह नौ बजे वायुसेना स्टेशन, आगरा से एएन-32 विमान में जूनियर वारंट अफसर जीएस मंजूनाथ व 11 प्रशिक्षु पैराजंपर सवार हुए.

उन्होंने सात हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई. सभी वारंट अफसर सहित अन्य के पास जीपीएस सहित अन्य उपकरण थे. इन सभी को मलपुरा ड्रापिंग जोन में उतरना था. गाड़ी से वायुसेना स्टेशन आना था। 11 पैराजंपर सुबह 10 बजे तक निर्धारित स्थल पर पहुंच गए, लेकिन जूनियर वारंट अफसर नहीं पहुंचे. इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दी गई.

इसके बाद जीपीएस से मंजूनाथ की ट्रैकिंग शुरू की गई. जरूरत पर ड्रोन को भी तैयार कर लिया गया. मंजूनाथ की लोकेशन सुतेड़ी गांव के एक खेत में मिली. दोपहर 12 बजे वायुसेना की टीम मौके पर पहुंची. मंजूनाथ की नाक से खून निकल रहा था. शरीर में कई चोट थीं. पैराशूट नहीं खुला था. अधिकारी एंबुलेंस से मंजूनाथ को लेकर सैन्य अस्पताल पहुंचे. डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. घटना की जानकारी परिजनों को दी गई. उधर, वायुसेना ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं.

गेहूं के खेत में गिरे थे

जानकारी के मुताबिक, जूनियर वारंट अफसर जीएस मंजूनाथ सुतेड़ी गांव की कमलेश देवी के गेहूं के खेत में गिरे थे. वायुसेना की टीम ने उस क्षेत्र को सील कर दिया है. ग्रामीणों को हटा दिया गया है. जूनियर वारंट अफसर जीएस मंजूनाथ का पैराशूट सुरक्षित रखा गया है. भारतीय वायुसेना की टीम पैराशूट न खुलने की जांच करेगी. आखिर किस वजह से पैराशूट नहीं खुला. रिजर्व पैराशूट न खुलने की वजह क्या है. जूनियर वारंट अफसर मंजूनाथ 600 से अधिक छलांग लगा चुके थे. वायुसेना स्टेशन आगरा में मंजूनाथ को फ्लाइंग बर्ड का चिह्न मिला था.