उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में अब अखाड़ों के वापस जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. अखाड़े जाने से पहले चुनाव प्रक्रिया को संपन्न करते हैं. निरंजनी अखाड़े में कार्यकारिणी का चुनाव किया गया है. इस दौरान सभी साधु-संतों ने परंपरा के अनुसार पूजन अर्चन किया और अखाड़े की धर्म ध्वजा को ढीला किया गया. अब एक-एक करके अखाड़ों की वापसी होगी.

महाकुंभ में तीसरा अमृत स्नान करने के बाद अब अखाड़ों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सबसे पहले निरंजनी अखाड़े की छावनी में इस प्रक्रिया को संपन्न किया जा रहा है. अखाड़ों के जाने से पहले हर बार कुंभ के दौरान अखाड़ों की कार्यकारिणी का चुनाव होता है. इस चुनाव में महंत और उपमहंत चुने जाते हैं. वापसी से पहले निरंजनी अखाड़े में चुनाव किए गए हैं. इस दौरान 8 महंत और 8 उपमहंत चुने गए हैं.

जिन महंतों और उपमहंतों को चुना गया है वह अगले 6 सालों तक कुंभ और महाकुंभ में अपना दायित्व पूरा करेंगे. चुनाव की प्रक्रिया के दौरान अखाड़े के साधु संत अलग-अलग तरह की परंपराओं को निभाते हैं. निरंजनी अखाड़े में साधु संतों ने वापसी की परंपरा का पालन किया और अपने ईष्ट देव की आराधना करने के बाद अखाड़े में लगी धर्म ध्वजा को ढीला किया गया. इस धर्म ध्वजा को महाकुंभ में आने के बाद अखाड़ों ने पूरे विधि-विधान के साथ स्थापित किया था. इस दौरान साधु-संतों ने दही चावल का भोग भी लगाया.

बसंत पंचमी के अमृत स्नान के बाद शुरू हुई प्रक्रिया

महाकुंभ में तीन अमृत स्नान पूरे हो चुक हैं, इस दौरान करोड़ों लोगों ने आस्था की डुबकी ली है. महाकुंभ की शुरुआत मकर संक्राति से हुई थी जो कि शिवरात्रि तक चलेगा. महाकुंभ में इस बीच मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर अमृत स्नान हो चुके हैं. अब माघ पूर्णिमा यानी 12 फरवरी और शिवरात्रि यानी 26 फरवरी को स्नान होंगे.