पिछले दिनों पंजाब के विभिन्न शहरों, खासकर सीमावर्ती जिलों अमृतसर और गुरदासपुर में पुलिस चौकियों और पुलिस स्टेशनों पर समय-समय पर जहां ग्रेनेड हमले हुए हैं, वहीं साथ ही विगत दिवस जिला अमृतसर बाईपास पर स्थित फतेहगढ़ चूड़ियां पुलिस चौकी, जो पिछले एक साल से बंद पड़ी थी, पर भी आतंकवादियों द्वारा किए गए धमाके के बाद पुलिस पहले से कहीं ज्यादा चौकन्नी हो गई है।

वहीं आम जनता में भी दहशत का माहौल बना हुआ है, लेकिन पुलिस प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद विस्फोट करने वाले किसी न किसी तरह से पुलिस चौकियों पर हमला करने में कामयाब हो ही जाते हैं। इसके बाद पुलिस सिर्फ व सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के अलावा कुछ कर सकने में समर्थ नहीं दिखाई दे रही। पंजाब का पुलिस विभाग जहां पुलिस प्रशासन अक्सर जनता की जान-माल की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध होने के खोखले दावे करता नजर आता है, लेकिन हकीकत सामने है क्योंकि कुछ हफ्तों से चल रहे ग्रेनेड हमलों के बाद फोर्स बढ़ाने के लिए पुलिस चौकियों में तैनात पुलिस कर्मियों को पुलिस स्टेशनों में तैनात करते हुए पुलिस चौकियां बंद कर दी गई हैं, जिससे यह साबित होता है कि इस समय विस्फोट या ग्रेनेड हमले करने वाली देश विरोधी ताकतों का पलड़ा भारी है।

दूसरी ओर, पुलिस प्रशासन को यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले हफ्तों के दौरान लगभग लगातार हो रहे ग्रेनेड हमलों की जिम्मेदारी अमेरिका में रहने वाले गैंगस्टर हैप्पी पाशिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके ली थी, जिसके बाद पुलिस को चाहे ग्रेनेड हमले होने के प्रमाण भी मिले होंगे, लेकिन पुलिस ने मीडिया के सामने इस बारे में कुछ भी कहना उचित नहीं समझा। इसके चलते हो सकता है कि लोगों में दहशत कम करने के लिए पुलिस प्रशासन ने यह सब किया हो, लेकिन बंद पड़ी चौकियों पर रात समय ब्लास्ट/ग्रेनेड हमलों ने अपने आप में एक बड़ा सवाल पैदा करते हुए पुलिस की रात्रि गश्त पर सवालिया निशान लगा दिया है, जो पुलिस विभाग के लिए ‘कुछ भी अच्छा नहीं’ साबित करता है।

उधर, पुलिस प्रशासन ने इन ग्रेनेड हमलों के डर से पुलिस स्टेशनों की दीवारें ऊंची कर दीं, वहीं साथ ही पुलिस स्टेशनों के मुख्य द्वार के सामने से गुजरने वाली सड़क व मेन रास्ते को सिटी पुलिस के कर्मचारियों द्वारा दोनों ओर से कुछ दूरी पर बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया जाता है, जिससे रात के समय थाने के आगे से होकर गुजरती मुख्य सड़क पर न कोई वाहन चालक आ सके व न ही पैदल व्यक्ति पुलिस स्टेशन के सामने गुजर सके। इसका ताजा उदाहरण बटाला के सिटी पुलिस स्टेशन से मिलती है, जो यह सब साबित करता है कि पुलिस के बीच ग्रेनेड हमलों का डर अभी भी बरकरार है। इस सबके चलते आम जनता पुलिस से अपनी सुरक्षा की उम्मीद कैसे कर सकती है, जो खुद सुरक्षा की तलाश में है। किंतु अब वक्त ही बताएगा कि क्या पंजाब पुलिस अपनी बहादुरी साबित कर समय-समय पर पुलिस चौकियों/थानों पर हमला करने वाली देश विरोधी ताकतों का दमन करती है या भविष्य में भी ऐसे हमलों का सिलसिला जारी रहता है।