रतन टाटा भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके काम, यादें और उनके द्वारा बनाए गए संस्थान हमेशा रहेंगे. लेकिन उनके निधन के बाद उनके 15, 000 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. टाटा की रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन वसीयत में कई लोगों को नाम शामिल हैं लेकिन उनको लेकर अभी भी कंफ्यूजन है कि किसे रतन टाटा के 15 हजार करोड़ मिलेंगे? आइए जानते हैं?
वसीयत में इन लोगों के हैं नाम
रतन टाटा की वसीयत में उनका फाउंडेशन, उनके भाई जिमी टाटा, उनकी सौतेली बहनें शिरीन और डीनना जीजीभॉय और उनके घरेलू कर्मचारी शामिल हैं. उनकी वसीयत में उनके करीबी लोगों के लिए सोच-समझकर व्यवस्था की गई है, जिसमें इन लोगों के नाम शामिल हैं.
किसे मिलेंगे पैसे
रतन टाटा की ये फाउंडेशन उनके निजी पैसों से चलाई जाएगी, जिससे समाज सेवा के काम होंगे. लेकिन RTEF का ट्रस्टी कौन चुनेगा, इस बात को लेकर अभी तक कुछ साफ़ नहीं हो पाया. ऐसा इसलिए क्योंकि रतन टाटा ने अपनी वसीयत में इस बारे में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया. अब ऐसे में टाटा ग्रुप से जुड़े लोग RTEF के ट्रस्टी के लिए किसी निष्पक्ष व्यक्ति की मदद ले सकते हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड चीफ जस्टिस को आर्बिट्रेटर बनाया जा सकता है, जिससे तय होगा कि ट्रस्टी चुनने का अधिकार टाटा की वसीयत को लागू करवाने लोगों, टाटा फैमिली या टाटा ट्रस्ट के सदस्यों किसके पास है?
रतन टाटा की नेटवर्थ
रतन टाटा ने सोशल वर्क के लिए साल 2022 में RTEF और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट संस्थाएं बनाई थीं जिन्हे उनके पैसों से चलाया जा रहा था. शामिल हैं. RTEF में देश के सबसे बड़े कारोबारी घराने टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में रतन टाटा की 0.83% हिस्सेदारी थी. रतन टाटा के पास इंडीविज्युअल नेटवर्थ हुरुन रिच लिस्ट के मुताबिक 7,900 करोड़ रुपये थी. लेकिन उनकी कंपनियों में हिस्सेदारियों के चलते उनकी नेटवर्थ सूत्रों के मुताबिक,15,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी.
क्या होगा अरबों रुपयों का?
रतन टाटा अपनी कमाई को समाज सेवा में लगाते थे. ऐसे में माना जा रहा है माना जा रहा है कि उनकी ज्यादातर संपत्ति को RTEF मैनेज करेगा जबकि बाकी ट्रस्ट देखेगा. वहीं उनकी लग्जरी कारों समेत सभी गाड़ियों को भी नीलाम करके जो पैसे मिलेंगे उन्हें RTEF में डाल दिया जाएगा. रतन टाटा चाहते थे उनके पैसे समाज के कामों के लिए लगे तो ऐसा होने की उम्मीद है.
रतन टाटा ने आर.आर. शास्त्री और बुर्जिस तारापोरवाला को RTEF का होल्डिंग ट्रस्टी बनाया था. लेकिन अब RTEF का ट्रस्टी कौन बनेगा इसकी कोई जानकारी नहीं है. रतन टाटा ने अपनी वसीयत में डेरियस खंबाटा, मेहली मिस्त्री, शिरीन और डायना जेजीभॉय को एग्जीक्यूटिव के लिए चुना था. सूत्रों के मुताबिक, खंबाटा एक वरिष्ठ वकील और रतन टाटा की वसीयत के एग्जीक्यूटर भी हैं.
क्या हो सकता है सुझाव?
जानकारों के मुताबिक इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया कि आम तौर पर अगर वसीयत में संपत्ति के मैनेजमेंट के बारे में कोई खास निर्देश नहीं होता है तो एग्जीक्यूटर्स की जिम्मेदारी होती है कि वो दिवंगत व्यक्ति की इच्छा के अनुसार काम करें.