आम लोगों की ताकत को कम नहीं आंकना चाहिए. इस बात का अहसास पिछले साल लोकसभा चुनाव के नतीजों ने सभी को दिखा दिया. अब उसी आम आदमी के लिए देश की मिलीजुली सरकार अपने दूसरे बजट में बड़े ऐलान करने की तैयारी कर रही है. जानकारों की मानें तो देश के आम आदमी को सशक्त बनाने के लिए बजट 2025 में ऐसे ऐलान हो सकते हैं, जो अभी तक नहीं हुए या अगर हुए भी हैं तो पहले बजटों में आवंटन कम हुआ.
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि सरकार की नजर में आम आदमी कौन है? जो इसका सीधा जवाब है, महिलाएं, यूथ, किसान और गरीब. देश जो चुनावों के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जुबान पर होते हैं. लोकसभा चुनाव हों या फिर बीते 6 महीने में जो विधानसभा चुनाव नेताओं के भाषणा इन चारों के बिना पूरे नहीं होते हैं. अगर बात मोदी सरकार की करें तो ये चारों ही एक अहम हिस्सा रहे हैं. जब मोदी 3.0 का पहला बजट जुलाई में पेश किया गया तो बजट कुल हिस्से में से करीब 33.6 फीसदी इन्हीं चारों को आवंटन किया गया. मतलब साफ है कि ये चारों मौजूदा समय में देश की सत्ता के लिए रोटी कपड़ा और मकान से कम नहीं है.
गोदरेज एंटरप्राइजेज के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एवं सीईओ अनिल जी. वर्मा ने कहा कि जैसा कि हम केंद्रीय बजट 2025-26 के करीब आ रहे हैं, मैं आशावादी हूं कि सरकार बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने, राजकोषीय विवेक बनाए रखने और स्किल, वेलफेयर स्कीम्स के साथ महिलाओं, यूथ, किसानों और गरीबों पर जोर देने का काम जारी रखेगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर बजट 2025 में इन चारों पर किस तरह का फोकस देखने को मिल सकता है.
महिलाओं पर कैसे रहेगा फोकस
मिशन शक्ति, मातृ वंदना योजना और जननी सुरक्षा योजना जैसी वुमेन सेंट्रिक स्कीम्स के लिए धन बढ़ाने का ऐलान हो सकता है. कैप्री लोन के मैनेजिंग डायरेक्ट राजेश शर्मा ने ईटी से बात करते हुए कहा कि सेफ्टी, एजुकेशन और मातृ स्वास्थ्य लाभ के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के लक्ष्य वाले इन कार्यक्रमों को इस वर्ष ज्यादा बजट मिल सकता है.
पिछले बजट में इन योजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि रखी गई थी. उन्होंने कहा प्रधानमंत्री जन धन योजना जैसे कार्यक्रम – बचत खाते चलाने वाली महिलाओं के लिए 10,000 रुपए की ओवरड्राफ्ट सुविधा की पेशकश – और प्रधान मंत्री मुद्रा योजना, जो एसएमई और एमएसएमई के लिए 10 लाख रुपए तक के कोलेटरल फ्री लोन प्रदान करती है, इसमें सहायक हैं.
किसानों की आय को बढ़ावा देना
कृषि और ग्रामीण विकास सरकार की कल्याण प्राथमिकताओं के केंद्र में हैं. बजट 2024 में घोषित मौजूदा योजनाएं और कई अन्य कैबिनेट फैसले महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं और इन्हें टॉप अप मिल सकता है. योजनाओं में पीएम-किसान शामिल है, जो वित्तीय बोझ को कम करने के लिए किसानों को सालाना 6,000 रुपए प्रदान करता है; प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) जो प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किफायती फसल बीमा सुनिश्चित करती है.
मुद्रा योजना जो ग्रामीण उद्यमियों को कोलेटरल फ्री लोन देती है. राजेश शर्मा के अनुसार, ग्रामीण उद्यमिता, कृषि उत्पादकता में सुधार और कृषि को जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के प्रति अधिक लचीला बनाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक तकनीक और सिंचाई प्रणालियों तक बेहतर पहुंच से अधिक पैदावार हो सकती है और किसानों की आय में सुधार हो सकता है.
बजट में युवाओं के लिए क्या हो सकता है?
भारत की जनसंख्या, जिसका औसत 27 है, फायदे और नुकसान दोनों का हो सकता है. लेकिन, वित्त मंत्री के पास इसे रणनीतिक रूप से आगे बढ़ाने का काम है. पिछले साल, सीतारमण ने 2 लाख करोड़ रुपए के केंद्रीय बजट के साथ पांच साल की अवधि में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए पांच योजनाओं का ऐलान किया था.
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) और मुद्रा योजना जैसे कार्यक्रम, जो कौशल और उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करते हैं, इस फरवरी में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए विस्तारित आवंटन देखने की संभावना है. शर्मा ने कहा कि ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहित करने से रोजगार सृजन और इनोवेशन को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे स्थानीय लोग अपनी आजीविका में सुधार करके इकोनॉमी में अधिक प्रभावी ढंग से योगदान कर सकेंगे.
बजट में गरीबों के उत्थान की योजनाएं
पिछले साल मोदी एंड कंपनी के लिए एक बड़ा स्कोर यह था कि पिछले एक दशक में भारत में कम से कम 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) जैसे कार्यक्रम जो मुफ्त खाद्यान्न वितरण और डायरेक्ट कैश ट्रांसफर प्रदान करते हैं; प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), जो शहरी और ग्रामीण गरीबों को किफायती आवास प्रदान करती है; आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई), को ज्यादा आवंटन मिलने की उम्मीद है.
ईवाई इंडिया के पार्टनर रजनीश गुप्ता ने ईटी से बात करते हुए कहा कि राजकोषीय बाधाओं के बावजूद, सरकार ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए इंफ्रा और रूलल ग्रोथ को प्राथमिकता दे सकती है. उन्होंने कहा कि पिछले बजट में रोजगार सृजन, कौशल और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया था.