गणतंत्र दिवस 2025 के मौके पर पुलिस, होमगार्ड, अग्निशमन, नागरिक सुरक्षा और सुधार सेवाओं के 942 कर्मियों को वीरता सेवा पदक से सम्मानित किया जाएगा. 101 को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक और 95 जवानों को वीरता पदक साथ ही 746 को सराहनीय सेवा के लिए पदक दिया गया जाएगा. देश भर के 101 पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक के लिए चुना गया, जिनमें मध्य प्रदेश के चार अधिकारी शामिल हैं.

देशभर के 746 जवानों को सराहनीय सेवा के लिए पदक दिया गया, जिसमें मध्य प्रदेश के 17 पुलिस अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं. इनमें भोपाल के दो पुलिस अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त शैलेंद्र सिंह चौहान और इंस्पेक्टर मनोज बेस भी शामिल हैं. शैलेंद्र सिंह चौहान ने फरवरी 2000 में उप पुलिस अधीक्षक के रूप में करियर की शुरुआत की. 24 साल के कार्यकाल में शैलेंद्र सिंह चौहान डीएसपी, एसीपी क्राइम ब्रांच, एसपी एटीएस और एसपी साइबर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे हैं.

शैलेंद्र चौहान ने नाइजीरियाई गिरोह का किया था भंडाफोड़

भोपाल-इंदौर जैसे क्षेत्रों अपनी सेवाए दे चुके हैं. 2016 में भोपाल सेंट्रल जेल ब्रेक कांड में 8 सिमी आतंकवादी एक पुलिसकर्मी की हत्या कर फरार हो गए थे. इन आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया था. शैलेंद्र सिंह चौहान उस टीम का भी हिस्सा थे. एसपी साइबर क्राइम रहते हुए शैलेंद्र चौहान ने 50 लाख की हैकिंग धोखाधड़ी मामले में एक नाइजीरियाई गिरोह का भंडाफोड़ किया था. 200 से अधिक साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया. साथ ही ATM क्लोनिंग, ऑनलाइन फ्रॉड जैसे अपराधियों को गिरफ्तार किया.

मानव तस्करों से बचाई थी पांच बच्चियां

भोपाल मे नवरात्रि उत्सव के दौरान ‘कर्फ्यू वाली माता’ मंदिर से कन्या भोज के दौरान दो मासूम बच्चियों का अपहरण हुआ था. उनके निर्देशन पर गठित टीम ने कार्रवाई करते हुए दिल्ली, उत्तर प्रदेश के मानव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया. यह गिरोह बच्चों की खरीद फरोख्त करता था. गिरोह के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर पांच बच्चियों को छुड़ाया था. एसपी क्राइम ब्रांच रहते हुए शैलेंद्र सिंह चौहान ने अब तक करीब 4000 से ज्यादा गुम हुए मोबाइलों को बरामद कर मोबाइल मालिकों को सुपुर्द किया.

“रुस्तम जी अवार्ड”

नोटबंदी के दौरान नकली नोट चलाने वाले गिरोह का भी भंडाफोड़ किया था. पड़ोसी देशों के अंतरराष्ट्रीय अपराधियों को गिरफ्तार किया इसके लिए उन्हें मध्य प्रदेश का सर्वोच्च राज्य स्तरीय पुलिस पुरस्कार “रुस्तम जी अवार्ड” भी प्रदान किया गया था.

साल 1992 में इंस्पेक्टर मनोज बेस ने की थी फोर्स ज्वाइन

भोपाल कंट्रोल रूप में पदस्थ इंस्पेक्टर मनोज बेस ने 1992 में बतौर सब इंस्पेक्टर से अपने पुलिस करियर की शुरुआत की. मनोज बेस ने बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन, आर्थिक राजधानी इंदौर और प्रदेश की राजधानी भोपाल में कंट्रोल रूम इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी संभाली है. मनोज शहर में कहीं भी लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ती है, तो सबसे पहले मौके पर बल पहुंचा कर शांति व्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

‘आमजन के बीच पुलिस का बेहतर तालमेल रहे’

हाल ही में भोपाल पुलिस कंट्रोल रूम से शहर में जगह-जगह लगे पुलिस के कैमरों से निगरानी की भी जिम्मेदारी संभाले हैं. सीसीटीवी सर्विलांस के जरिए कई फरार अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया. राष्ट्रपति पदक से सम्मानित होने पर उन्हें बेहद खुशी हो रही है. उनका कहना है कि पुलिस विभाग में काम करने से लोगों की सेवा करने का मौका मिला. कैसे शांति व्यवस्था बनी रहे बदमाशों में पुलिस का खौफ हो और आमजन के बीच पुलिस का बेहतर तालमेल रहे हमेशा इस बात का प्रयास किया है.