हिंदू धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या बहुत ही विशेष मानी गई है. धर्म शास्त्रों में इस दिन स्नान और दान का विधान है. माघ महीने की अमावस्या मौनी अमावस्या होती है. मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या का दिन पितरों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं.
मौनी अमावस्या पर पतरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है. मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर अगर कोई अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान करता है, तो उसके तीन पीढ़ी के पतिरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. अगर आप मौनी अमावस्या के दिन अपने पितरों की आत्मा को शांति प्रदान चाहते हैं, तो इसके लिए हिंदू धर्म शास्त्रों में मंत्र बताए गए हैं. इन मंत्रों के जाप से आप अपने पितरों की आत्मा को शांति प्रदान कर सकते हैं.
कब है मौनी अमावस्या
इस साल अमावस्या की तिथि 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में इस बार मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी. इसी दिन इसका व्रत रखा जाएगा. साथ ही इसी दिन महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान भी किया जाएगा.
इन मंत्रों का करें जाप
- ॐ श्री पितराय नम:
- ॐ श्री पितृदेवाय नमः
- ॐ श्री पितृभ्य: नम:
- ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः
- ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात् ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम: ॐ आद्य भूताय विद्महे सर्व सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति स्वरूपेण पितृ देव प्रचोदयात्
इन मत्रों के जाप के अलावा पितृ कवच, पितृ स्त्रोत, पितृ सूक्तम का भी पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से भी पितर खुश होंगे और आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा.
मौनी अमावस्या का महत्व
धर्म शास्त्रों में मौनी अमावस्या का दिन पितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए बहुत ही शुभ होता है. मौनी अमावस्या पर पूजन और व्रत भी किया जाता है. इस दिन जो भी धर्म के काम किए जाते हैं वो शुभ फल प्रदान करते हैं. साथ ही परिवार में खुशियां बनी रहती हैं.